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महँगाई से नहीं साहेब, खाली जेब से डर लगता है

Rajeev Ranjan Jhaराजीव रंजन झा : कल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जब अपनी ब्याज दरें नहीं घटायीं तो मुझे बुरा लगा, पर मैं निराश नहीं था।

खैर, मेरा निराश होना न होना कोई मायने नहीं रखता। बाजार जरूर निराश हो गया। लोग ब्याज दरों मे कटौती की ज्यादा उम्मीदें पहले से जता नहीं रहे थे। ज्यादातर लोग सीआरआर में कटौती की ही बात कह रहे थे। आरबीआई ने वैसा ही किया भी। फिर क्यों आरबीआई का फैसला सामने आने के बाद बाजार गोता खा गया? इसलिए कि लोग दिमाग से सोच कर भले ही कह रहे थे कि ब्याज दर नहीं घटेगी, लेकिन दिल से यही चाह रहे थे कि दरों में कटौती हो। इसलिए जब आरबीआई ने ऐसा नहीं किया तो उसकी एक प्रतिक्रिया सामने आ गयी। लेकिन बाजार की निराशा भरी प्रतिक्रिया से भी ज्यादा महत्वपूर्ण रही वित्त मंत्री की निराशा और प्रतिक्रिया। बाजार तो बस गुहार लगा सकता है, मगर शायद वित्त मंत्री सोच रहे थे कि उनका संकेत आरबीआई के लिए आदेश सरीखा होगा। गफलत हो गयी।
आरबीआई ने दिखाया कि वह एक स्वायत्त नियामक है। उसने दिखाया कि वह सरकार के स्पष्ट संकेतों से उल्टे जाकर अपने विचारों के मुताबिक नीति बना सकता है। आरबीआई की इस स्वायत्त सोच का स्वागत है। लेकिन सुब्बाराव साहब, स्वायत्तता दिखाने के लिए आपको और भी मौके मिल सकते हैं। उसके लिए विकास दर को पटरी से उतारना जरूरी है क्या? अभी आपने ही तो बताया कि विकास दर घट कर केवल 5.8% रह जाने वाली है। पिछली समीक्षा के समय आपने तर्क दिया था कि ऊँची ब्याज दरों के चलते विकास दर नहीं घटती। लेकिन हमें तो स्पष्ट रूप से ब्याज दरों और विकास दर के बीच उल्टा संबंध दिख रहा है। जब से ब्याज दरें ऊँची चल रही हैं, तब से विकास दर पर ग्रहण लगा है।
महँगाई को लेकर आपकी चिंता से हमें पूरी हमदर्दी है। हमदर्दी क्या, हम तो भुगत रहे हैं इस महँगाई को। आपसे ज्यादा हमें सताती है यह महँगाई। इसीलिए मेरा तो खुला प्रस्ताव है आपको, कि आप ब्याज दरें घटाने के बदले चाहें तो उल्टे 2-4% बढ़ा लीजिए, बशर्ते आप ऐसा करके गेहूँ-चावल, फल-सब्जी, दूध-अंडे के दाम घटवा देने का वादा कर सकें। आप ब्याज दरें जरूर ऊँची रखिए, अगर ऐसा करने से मकान-किराये नहीं बढ़ें। हम आपसे कोई शिकायत नहीं करेंगे, अगर आपकी यह नीति डॉक्टर-वकील की या स्कूलों की फीस घटा सकती हो। लेकिन बीते सालों में आपकी ऊँची ब्याज दरों के डर से महँगाई डायन के चेहरे पर जरा भी शिकन पड़ी है क्या?
आपने खुद ही अपनी समीक्षा बैठक के बाद बताया कि मार्च 2013 तक महँगाई दर 7.5% के ऊँचे स्तर पर ही रहेगी। पहले आप सोच रहे थे कि मार्च तक महँगाई दर 7% पर रहेगी। इसका मतलब यही निकला न कि ऊँची ब्याज दरों के बावजूद खुद आपको महँगाई और बढ़ने की ही आशंका है। फिर क्यों आप ऊँची ब्याज दरों की जिद पर अटके हैं?
शायद आपको डर है कि ब्याज दरें घटने से महँगाई और भी ज्यादा उछल जायेगी, और ज्यादा बेकाबू हो जायेगी। लेकिन इस डर के चलते आप विकास दर घटाने की रणनीति पर उतर चुके हैं। यह रणनीति ऐसी है कि अगर आमदनी के मौके घट जायें, लोगों के हाथ में पैसा ही नहीं हो तो भला वे चीजें खरीदेंगे कैसे? जब लोग चीजें खरीदेंगे नहीं तो माँग घटने से महँगाई दर नीचे आ जायेगी। अगर यह रणनीति सफल हो भी जाये (अब तक तो नहीं हो पायी), तो क्या यह महँगाई घटाने का बड़ा क्रूर तरीका नहीं है?
सुब्बाराव जी, आप जिस महँगाई को लेकर परेशान हैं, उसकी कोई व्याख्या आपको अमेरिकी-यूरोपीय अर्थशास्त्रियों की किताबों में नहीं मिलने वाली। यह खाँटी हिंदुस्तानी महँगाई है। यह माँग में कोई इजाफा नहीं होने पर भी बढ़ती है। मानसून कमजोर रहने और फसल घटने पर तो यह बढ़ती ही है, जब मानसून अच्छा रहे और फसल अच्छी हो तब भी बढ़ती है। किसी कमोडिटी के भाव भले ही बाकी दुनिया में स्थिर हों, लेकिन भारत में उसका भाव कई गुना बढ़ जाना आम बात है। अर्थशास्त्री ऐसी घटनाओं की व्याख्या करने के लिए सप्लाई साइड कंस्ट्रेन्स यानी आपूर्ति की बाधाओं का हवाला देते हैं, दुष्चक्र की बात करते हैं। नहीं गवर्नर साहब, यह आपूर्ति का दुष्चक्र नहीं बल्कि ब्लैक होल है। आपके घटाने से यह महँगाई नहीं घटने वाली। इसलिए कम-से-कम विकास के रास्ते की बाधा हटा दीजिए। लोगों की जेब में चार पैसे होंगे तो वे इस महँगाई को सह भी लेंगे। नहीं तो उन्हें खाली जेब यह महँगाई सहनी पड़ेगी। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 31 अक्टूबर 2012)

Comments 

purshottam lal verma
0 # purshottam lal verma 2012-10-31 23:43
BHAIYA AAPANE TO MERE MAN KI BAAT BOL DI
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HIREN SHAH
0 # HIREN SHAH 2012-10-31 10:57
U R RIGHT.AGAR KOI KAHE KI BHAGWAN NAHI HE TO USE INDIA DIKHANA CHAIYE.BHARAT DESH BHAGWAN BHAROSE HI CHAL RAHA HE.SABSE PEHLE MOGAL AAKAR BHARAT KO LOOT GAYE PHIT ANGREZO NE LOOTA AUR AB POLITICIAN LOOT RAHE HE.BICHARA BHARAT KE AAM AADMI KI KISMAT BHAGWAN BHAROSE HI HE.AGAR BHAGWAN NAHI HOTA TO SOCHO IS BHARAT KI KYA HALAT HOTI???

GOD BLESS INDIA.

AAM AADMI KO RAM BACHALE.
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