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बाजार है मँझधार में, छकाने को तैयार!

Rajeev Ranjan Jhaराजीव रंजन झा : भारतीय शेयर बाजार बीते 3 हफ्तों से एकदम ठिठक-सा गया है, बल्कि अगर अक्टूबर के पहले हफ्ते में 5800 से ऊपर के स्तर वाले 2 दिनों को छोड़ दें तो बीते 5 हफ्तों से निफ्टी केवल 100 अंक के छोटे दायरे में अटका है।

कल भी हमें एकदम छोटे दायरे के बीच का कारोबार दिखा, जिसमें निफ्टी न तो ऊपर 5700 पार कर सका, न ही यह 5640 के नीचे गया। गौरतलब है कि हाल में निफ्टी को 5720 के ऊपर टिकने में परेशानी होती रही है, जबकि 5630-5640 के आसपास इसने कई बार सहारा लिया है। ऐसा लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीतिगत समीक्षा से पहले बाजार बिल्कुल दम साधे चुपचाप खड़ा हो गया है।
नीतिगत ब्याज दरों में कटौती की जरूरत है, यह कहते-कहते तो अब उद्योग जगत भी थक चुका। राग बाजारी के नियमित पाठकों को बखूबी याद होगा कि मैंने कितनी बार इस संदर्भ में लिखा है। मैं नहीं मान सकता कि आरबीआई ब्याज दरें ऊँची रखने से गेहूँ, चावल, फल, सब्जी, दूध, अंडे के दाम घट जाने की आशा करता रहा है। मेरे जैसे निपट सामान्य बुद्धि के व्यक्ति को भी पता है कि ऐसा नहीं होने वाला। आरबीआई के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर जैसे पदों को तो अर्थव्यवस्था के दिग्गज महारथी सुशोभित करते हैं। फिर भी अगर आरबीआई ने ऊँची महँगाई के कारण ब्याज दरें लगातार ऊँची रखी, जिसका नतीजा हमें घटती विकास दर के रूप में देखने को मिल रहा है, तो इसके पीछे जरूर ऐसे गूढ़ अर्थशास्त्रीय सिद्धांत होंगे, जो मेरे सिर से सरपट ऊपर निकल जाते हैं।
शायद कुछ ऐसा ही हाल बाजार का भी है। शायद इसीलिए आरबीआई की इस समीक्षा बैठक से पहले इसने ज्यादा उम्मीदें लगायी ही नहीं। शायद इसीलिए यह बीते 3 हफ्तों से एक जगह आ कर अटक गया है, कि चलो आरबीआई कुछ तय कर ले, फिर हम सोचेंगे आगे किधर जाना है!
तभी तो निफ्टी इस महत्वपूर्ण फैसले के समय अपने मौजूदा बड़े दायरे और छोटे दायरे दोनों के लगभग बीचोबीच आकर खड़ा है। मैंने हाल में कई बार जिक्र किया है कि निफ्टी इस समय एक बड़ी पट्टी (चैनल) और एक छोटी पट्टी के अंदर चल रहा है। (देखें http://www.sharemanthan.in/index.php/rag-bazaari/19951-rajeev-ranjan-jha-column-20121003) इसमें बड़ी पट्टी की ऊपरी रेखा अक्टूबर 2011 और फरवरी 2012 के शिखरों को मिलाती है, जबकि इसकी निचली रेखा दिसंबर 2011 की तलहटी 4531 और मई 2012 की तलहटी को छूती है। वहीं इसकी छोटी पट्टी की ऊपरी रेखा 10 जुलाई के शिखर 5349, 21 सितंबर के शिखर 5720 और 28 सितंबर के ऊपरी स्तर 5735 को छू रही है। इस छोटी पट्टी की निचली रुझान रेखा जून 2012 की तलहटी 4770, जुलाई की तलहटी 5032 और अभी सितंबर 2012 की तलहटी 5216 को मिलाती है।
अभी इस बड़ी पट्टी की ऊपरी रेखा 6100 के पास और निचली रेखा 5150 के पास है। निफ्टी इस पट्टी के लगभग बीच में 5666 पर है। वहीं निफ्टी की छोटी पट्टी में अभी ऊपरी रेखा 5890 के पास और निचली रेखा 5485 के पास है और इस पट्टी में भी निफ्टी बीचोबीच ही खड़ा है। इसका सीधा मतलब यह है कि बाजार ने अपनी ठीक अगली दिशा के बारे में साफ मन नहीं बनाया है, या वह कम-से-कम इसका स्पष्ट संकेत अभी नहीं देना चाहता।
आपको याद होगा कि 4-5 हफ्ते पहले निफ्टी के जल्दी ही 6000 के स्तर को छू लेने के बारे में बाजार में किस तरह आम राय सी बन गयी थी। इसी आम राय को देख कर सोमवार 24 सितंबर की सुबह मैंने लिखा था कि “बाजार को अभी नीचे जाने का मन नहीं है। लेकिन इस समय बाजार में सबको पता चल गया है कि रुझान सकारात्मक है। सबको पता है कि निफ्टी शायद 5900-6000 तक जाने वाला है। जनाब, शेयर बाजार में मुनाफा किसी मंदिर का प्रसाद है क्या जो सबको बँट जायेगा! हाँ, मैंने भी शुक्रवार की सुबह लिखा कि दशहरा-दीवाली तक निफ्टी 6000 के ऊपर जा सकता है। लेकिन क्या बाजार इतनी आसानी से आपके हाथ में लड्डू रख देगा?”
मुझे लगता है कि बाजार अपनी अगली चाल पकड़ने से पहले एक बार बुरी तरह छकायेगा। इतना तय है कि बाजार में एक बड़ी चाल आने वाली है। बीते 5 हफ्तों से दबा स्प्रिंग जब छूटेगा तो निफ्टी के चार्ट पर रॉकेट जैसी चाल दिखेगी। लेकिन अपनी असली दिशा में जाने से पहले बाजार एक नकली चाल दिखा कर लोगों को फँसा सकता है। इसका कारण यह है कि निफ्टी के मौजूदा दायरे की सीमाएँ बाजार में बच्चे-बच्चे को रट गयी हैं। ऊपर 5750 पार करने पर तेजी आयेगी, नीचे 5630 टूटने पर मंदी आयेगी, यह अब सबके लिए खुला रहस्य बन गया है। पर बाजार ऐसे खुले रहस्यों पर नहीं चला करता। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 30 अक्टूबर 2012)

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