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3000 स्कीमें या 30 शेयर – कहाँ आसान है चुनाव

Rajeev Ranjan Jhaराजीव रंजन झा : शेयर बाजार की  बारीकियों से अनजान नये निवेशक इस  बाजार की भरपूर संभावनाओं का फायदा उठा सकें, इसके लिए हमेशा सलाह का एक ओवर-दी-काउंटर टैबलेट पकड़ा दिया जाता है – ‘म्यूचुअल फंड में निवेश करें’।

लेकिन क्या म्यूचुअल फंड योजनाओं (स्कीम) में निवेश करना इतना ही आसान है? आप कैसे चुनेंगे कि किस योजना में पैसा लगाना है? सैंकड़ों एसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ, और इनमें से ज्यादातर की सैंकड़ों योजनाएँ। अब किसी को 3000 म्यूचुअल फंड योजनाओं में से अपने लायक 2-3 योजनाएँ चुननी हों, तो जरा बताएँ कि उसे कितनी पढ़ाई-लिखाई करनी होगी?
जानकार कहते हैं कि उस योजना का पिछला प्रदर्शन देखना होगा। पर साथ में कानूनन अनिवार्य रूप से लिखा गया वाक्य भी रहता है कि किसी योजना का पिछला प्रदर्शन उसके आगे के प्रदर्शन की गारंटी नहीं देता है। तो पहले साफ-साफ बतायें कि पिछला प्रदर्शन देखें या न देखें? फंड मैनेजर कौन है, यह भी देखना होगा। लेकिन फंड मैनेजरों का पिछला प्रदर्शन भी भविष्य के प्रदर्शन की गारंटी नहीं है। तो फिर फंड मैनेजर कौन है, यह देखें ही क्यों! और चलो, अगर फंड मैनेजर का नाम भरोसा जगाने वाला है, तब भी क्या भरोसा है कि आपके निवेश के बाद वह फंड मैनेजर नौकरी बदल नहीं लेगा।
स्कीम बड़े शेयरों में पैसा लगायेगी या छोटे-मँझोले शेयरों में, आईटी और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में पैसा लगायेगी या फिर कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में, या फिर उसका ज्यादा जोर तेल क्षेत्र पर होगा, या फिर कहीं उसका ज्यादा रुझान धातु पर तो नहीं है, या फिर कहीं दवा और एफएमसीजी जैसे रक्षात्मक क्षेत्रों में निवेश की नीति तो नहीं है – यह सब भी तो देखना होगा ना। तो लीजिए, कौन-सा क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन करने वाला है, उसमें दिग्गज शेयर ज्यादा अच्छा लाभ देंगे या फिर छोटे-मँझोले शेयर – ये सब पढ़ना-समझना होगा। इसके बिना आप एक जानकार निवेशक की तरह निवेश कैसे कर पायेंगे?
और इतनी सारी खोजबीन करने के बाद आप जिस स्कीम में पैसा लगायेंगे, क्या वह बाजार की गिरावट के दौर में आपकी पूँजी सुरक्षित रख पायेगी? आखिर फंड मैनेजर की विशेषज्ञता का फायदा तो विपरीत परिस्थितियों में भी मिलना चाहिए ना? जरा आँकड़े देख लें कि साल 2008 की गिरावट में कितनी म्यूचुअल फंड स्कीमें इस कसौटी पर खरी उतरीं।
शायद इन्हीं सब बातों को लेकर करीब 2 साल पहले तब के सेबी प्रमुख सी बी भावे ने म्यूचुअल फंडों से पूछा था कि आपकी 3000 से ज्यादा योजनाएँ क्यों हैं? सेबी के इस सवाल का कोई नतीजा निकला हो, ऐसा लगता तो नहीं है। इसलिए आप खुद तय करें कि आपको 3000 योजनाओं में से चुनाव करना है या सेंसेक्स के 30 शेयरों में से! Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 01 नवंबर 2012)

Comments 

HIREN SHAH
0 # HIREN SHAH 2012-11-01 11:44
NO MUTUAL FUND,MY POINT OF VIEW SBI, INFY, TCS, RIL MAIN APNE HISAB SE SIP KARNA CHAIYE.LONG TERM MAIN ACCHA FAYDA MIL SAKTA HAIN BETTER THAN MF
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