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100,000 का सेंसेक्स (Sensex) : शेयर बाजार के दिग्गजों का सबसे बड़ा सर्वेक्षण

राजीव रंजन झा : हमारा शेयर बाजार साल 2008 की शुरुआत से 2013 के अंत तक, यानी पूरे छह वर्ष एक दायरे के अंदर बिताने के बाद इस साल तेजी की नयी चाल पकड़ता दिख रहा है। लोगों के मन में आशा जगी है कि यह तेजी अगले कई वर्षों तक जारी रह सकेगी।

लोग इसे नये बुल रन, यानी लंबी तेजी के नये दौर की शुरुआत मान रहे हैं। अगर यह कई वर्षों तक चलने वाली तेजी की शुरुआत ही है, जिसमें हम सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) को नयी रिकॉर्ड ऊँचाई पर देख रहे हैं, तो इस तेजी के चलने के दौरान ये सूचकांक आखिर ऊपर कहाँ तक जायेंगे? जाहिर है कि यह केवल अनुमानों और अटकलबाजियों का विषय है। लेकिन अगर ये सूचकांक मौजूदा स्तरों से काफी ऊपर जाने वाले हैं तो इसका मतलब यह भी है कि अगले कुछ वर्षों के दौरान शेयर बाजार में समझदारी से निवेश करने वाले निवेशकों के लिए काफी बड़ा मुनाफा कमाने का अवसर है।

कुछ लोग बड़ी साफगोई से कहते हैं कि सेंसेक्स या निफ्टी कहीं भी चले जायें, उससे हमें और आपको क्या फर्क पड़ता है। अगर हमारे पोर्टफोलिओ में पड़े शेयरों के भाव बढ़ें, तभी हमें फायदा होगा। इसलिए सूचकांक कहाँ जा रहा है इस पर नहीं, बल्कि शेयरों पर ध्यान दिया जाये। बेशक, इस तर्क में दम है। आपने अगर अपने पोर्टफोलिओ में ऐसे चवन्नीछाप शेयर खरीद रखे हों, जहाँ न कंपनी का पता हो न उसके बही-खाते का, तो सेंसेक्स चाहे एक लाख का हो जाये, आपको क्या मिलना उससे?

लेकिन अगर सेंसेक्स आने वाले वर्षों में कभी एक लाख का होगा, तो इसी बाजार में मौजूद किन्हीं 30 शेयरों में आने वाली बढ़त के दम पर होगा। अगर आप उन शेयरों में निवेशित होंगे, तो जाहिर है कि सेंसेक्स में आने वाली बढ़त का फायदा आपको भी होगा। ऐसा भी नहीं है कि सेंसेक्स के सारे शेयर एक जैसा फायदा देंगे। कुछ सेंसेक्स से भी कई गुना फायदा दे सकते हैं और कुछ सेंसेक्स की तुलना में शायद आधा फायदा भी न दें। लेकिन मोटे तौर पर बाजार की दशा-दिशा और निवेशकों के नफे-नुकसान का हाल समझना हो, तो हमारे पास सेंसेक्स-निफ्टी का ही मुख्य पैमाना है।

इसलिए शेयर मंथन (www.sharemanthan.in) के छमाही सर्वेक्षण में इस बार एक बड़ा सवाल यह भी रखा गया कि क्या सेंसेक्स आने वाले वर्षों में कभी एक लाख पर पहुँचता दिखता है? अगर हाँ, तो कब तक? उससे पहले यह 50,000 के पड़ाव को कब पार कर सकेगा? अभी निकट भविष्य में इसके 30,000 पर जाने की संभावना कब तक दिखती है?

इन सवालों और बाजार की दशा-दिशा पर देश में शेयर विश्लेषकों के इस सबसे बड़े ताजा सर्वेक्षण के परिणाम जानने से पहले जरा एक नजर इस पर डाल लेते हैं कि जनवरी 2014 में किये गये सर्वेक्षण में सामने आये अनुमान वक्त की कसौटी पर कितने खरे उतरे। पिछले सर्वेक्षण में सबसे मुख्य बात यही निकली थी कि बाजार ने अपनी सारी उम्मीदें नरेंद्र मोदी के साथ बाँध ली हैं। हमारे जनवरी 2014 के सर्वेक्षण में 85.7' जानकारों ने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने का अनुमान जताया था। बाजार इस मोर्चे पर कतई निराश नहीं हुआ।

अपनी सारी उम्मीदें नरेंद्र मोदी के साथ बाँध लेने के बावजूद उस समय बाजार ने अगले छह और 12 महीनों के लिए आक्रामक लक्ष्य नहीं बनाये थे। जून 2014 के अंत तक सेंसेक्स 22,714 और निफ्टी 6,624 पर पहुँचने का अनुमान जताया गया था, जबकि दिसंबर 2014 के अंत तक सेंसेक्स 23,967 और निफ्टी 6,917 पर पहुँचने का अनुमान था। पर इन अनुमानों से कहीं आगे बाजार इस समय नयी रिकॉर्ड ऊँचाइयों को छू रहा है। सेंसेक्स 26,000 के करीब बढ़ता दिख रहा है, जबकि निफ्टी 7,700 पार करके खुले आसमान में है। बाजार जितना सोच रहा था, उससे काफी ज्यादा उसकी झोली में आ चुका है।

अब सवाल यह है कि बाजार के मन में भविष्य की क्या तस्वीर है? हमने एक लाख के सेंसेक्स की बात की है। काफी लोग इस आँकड़े को हैरत की नजर से देखेंगे। अविश्वास करेंगे कि भला अभी एक लाख के सेंसेक्स की बात कैसे की जा सकती है। लेकिन वैसा ही अविश्वास आपको उस समय भी होगा, जब आप देखेंगे कि सेंसेक्स बीते दशकों में कहाँ से चल कर 25,000 से ऊपर के मौजूदा मुकाम पर पहुँचा है।

सेंसेक्स का आधार मूल्य 1 अप्रैल 1979 को 100 माना गया था। एक दिलचस्प विश्लेषण के मुताबिक तब से हर 10 वर्षों में यह मोटे तौर पर छह गुणा होता गया है - 1989 में 600 पर, 1999 में 3,600 पर और 2009 में 21,600 (लगभग) पर। अगर यही क्रम इसके 10 वर्ष बाद 2019 में भी जारी रह गया तो सेंसेक्स का सवा लाख से भी ऊपर का स्तर मिलता है! लेकिन अभी सवा लाख का सेंसेक्स जितना अविश्वसनीय लगता है, उतना ही हैरतअंगेज यह भी है कि बीते चौबीस वर्षों में यह 26 गुणा हो चुका है। सेंसेक्स ने पहली बार 1,000 का स्तर छुआ था 25 जुलाई 1990 को। अभी यह 26,000 के पास है।

हाल में कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग ने तो अपनी एक रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि सेंसेक्स 2020 तक ही एक लाख पर पहुँच सकता है, यानी अभी से केवल छह साल बाद। छह साल में मौजूदा स्तर से चौगुना हो जाना जरा मुश्किल भले ही लगे, मगर असंभव भी नहीं लगता। साल 2003 में 3,000 के पास अटका पड़ा था सेंसेक्स, मगर जब लंबी अवधि की तेजी शुरू हुई तो साल 2008 में यह 21,000 को पार कर गया।

कार्वी का आकलन इस मान्यता पर आधारित है कि आने वाले वर्षों में सेंसेक्स कंपनियों की आय 20-25' सालाना औसत की दर से बढ़ेगी, और इसके साथ ही सेंसेक्स का मूल्यांकन मौजूदा 15 पीई से बढ़ कर 16-17 पीई हो जायेगा, जिसके चलते सेंसेक्स में सालाना औसतन 25% की वृद्धि हो सकेगी।

लेकिन अगर अनुमानों को जरा संकोची ही रखें, तो 15% सालाना औसत वृद्धि दर्ज करने पर ही सेंसेक्स अगले 10-11 वर्षों में यानी मोटे तौर पर 2025 तक एक लाख पर पहुँच सकता है। मगर क्या बाजार के ज्यादा जानकार अभी ऐसी उम्मीदें करने लगे हैं?

अभी तो सेंसेक्स ने 25,000 पार किया है और 26,000 की ओर बढ़ रहा है। उसके सामने अभी सबसे पहला बड़ा पड़ाव तो 30,000 का दिखता है। शेयर मंथन सर्वेक्षण में विश्लेषकों का बड़ा बहुमत मानता है कि सेंसेक्स को इस मुकाम तक जाने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा। लगभग दो तिहाई विश्लेषकों (62%) ने कहा कि सेंसेक्स अगले साल यानी 2015 में ही 30,000 का स्तर छू लेगा। इसके बाद 24% ने कहा है कि यह स्तर साल 2016 में हासिल होगा।

इसके बाद की बड़ी मंजिल है 50,000 की। लगभग आधे विश्लेषकों (48%) ने कहा है कि सेंसेक्स साल 2020 तक 50,000 का हो जायेगा। यानी अगले छह वर्षों में सेंसेक्स के दोगुना हो जाने की अच्छी-खासी संभावना दिखती है। वहीं 18% लोगों की राय में इसे 50,000 तक जाने में 2025 तक का समय लग जायेगा। इसके आगे 2030 तक यह स्तर आने की उम्मीद रखने वालों की संख्या 10% है, जबकि शेष 24% के मुताबिक इसका अनुमान लगाना मुश्किल है।

लेकिन एक लाख का विस्मयकारी आँकड़ा कब तक आयेगा? सर्वेक्षण में 20% जानकारों ने उम्मीद जतायी है कि यह जादू 2025 तक, यानी अगले 10-11 वर्षों में हो जायेगा। वहीं 16% ने साल 2030 तक और 12% ने साल 2040 तक यह जादुई स्तर छूने की बात कही है। लेकिन इस बड़ी चोटी पर पहुँचने को लेकर अनिश्चितता की बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि 52% ने कहा है कि सामने दिख सकने वाले भविष्य में यह मुकाम आता नहीं लग रहा है। एक तरह से यह आधा भरा ग्लास है, क्योंकि लगभग आधे लोग इस बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं करना चाहते, जबकि आधे लोगों ने अगले 10 से लेकर 25 वर्ष की अवधि में यह स्तर आने की बात कही है।

अगले छह महीनों की चाल

अगर वापस हम निकट भविष्य की बात करें, तो अगले छह महीनों यानी दिसंबर 2014 तक की तस्वीर कैसी है? बाजार ने दिसंबर 2014 के लिए अपनी उम्मीदें छह महीने पहले, यानी जनवरी 2014 से काफी बढ़ा ली हैं। जनवरी 2014 के सर्वेक्षण में सेंसेक्स का दिसंबर 2014 का लक्ष्य 23,967 आया था। इस बार यह लक्ष्य 27,264 हो गया है, यानी बीते छह महीनों के अंदर यह लक्ष्य 13.7% ऊपर खिसक गया है। इसी तरह निफ्टी का दिसंबर 2014 का लक्ष्य पिछली बार के 6,917 से 17.1% ऊपर खिसक कर 8,100 हो गया है।

छह महीने पुराने सर्वेक्षण में किसी जानकार ने दिसंबर 2014 तक सेंसेक्स 28,000 से ऊपर जाने की उम्मीद नहीं जतायी थी। इस बार 28,000-30,000 के दायरे में 16.3% जानकारों ने सेंसेक्स का लक्ष्य दिया है और 2% की राय में सेंसेक्स इसके भी ऊपर जा सकता है। पिछले सर्वेक्षण में निफ्टी का दिसंबर 2014 का लक्ष्य 7,500 के ऊपर बताने वाले जानकार केवल 4.2% थे। इस बार स्थिति उल्टी है। ताजा सर्वेक्षण में 7,500 से कम का लक्ष्य केवल 8.2% जानकारों ने दिया है!

पिछले सर्वेक्षण में सबसे ज्यादा 59.1% विश्लेषकों ने दिसंबर 2014 के अंत में सेंसेक्स 22,001-24,000 के दायरे में रहने की बात कही थी। इस बार 67.3%, यानी दो तिहाई विश्लेषकों ने दिसंबर 2014 के अंत तक सेंसेक्स का लक्ष्य 26,001-28,000 के बीच रहने की बात कही है। निफ्टी के लिए पिछली बार 63.8% जानकारों ने 6,501-7,000 के बीच के लक्ष्य दिये थे। इस बार 42.9% ने 7,501-8,000 के दायरे में और 36.7% ने 8,001-8,500 के बीच लक्ष्य बताये हैं।

सेंसेक्स-निफ्टी एक साल बाद

एक साल बाद यानी जून 2015 तक के लक्ष्यों को भी देखें तो बाजार में भरपूर जोश है। इस सर्वेक्षण में 25% जानकारों ने 12 महीने बाद का लक्ष्य 30,000 से ऊपर बताया है। ठीक 30,000 का लक्ष्य भी 14.6% जानकारों ने दिया है, इसलिए कहा जा सकता है कि 30,000 या इससे ज्यादा का लक्ष्य बताने वाले लगभग 40% हैं। इसी तरह 56.3% जानकारों ने निफ्टी का 12 महीने का लक्ष्य ठीक 8,500 या इससे ज्यादा बताया है। इनमें से 20.8% ने अपना लक्ष्य 9,000 से ज्यादा का रखा है। ऊपर की ओर सेंसेक्स के लिए 40,000 तक के लक्ष्य मिले हैं, जबकि निफ्टी का सबसे ऊँचा लक्ष्य 12,700 का बताया गया है।

अगर औसत लक्ष्य पर निगाह डालें, तो सेंसेक्स का जून 2015 का लक्ष्य 29,326 आया है, जबकि निफ्टी का औसत लक्ष्य 8,678 है। इस तरह 30 जून 2014 के बंद स्तर की तुलना में सेंसेक्स में 15.4% और निफ्टी में 14.0% की वृद्धि का लक्ष्य मिला है।

सेंसेक्स के लिए सबसे ज्यादा 41.7% जानकारों ने 28,001-30,000 के दायरे में अपना 12 महीने का लक्ष्य दिया है। निफ्टी के लिए 45.8% विश्लेषकों ने अपना लक्ष्य 8,001-8,500 के बीच रखा है। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि साल भर बाद सेंसेक्स 26,000 के ऊपर ही कहीं होने और निफ्टी 7,500 से ऊपर होने के बारे में आम सहमति दिखती है।

एक साल में कितना ऊपर, कितना नीचे

अब तक हमने 6 महीने और 12 महीने के लक्ष्यों की बात की, यानी दिसंबर 2014 और जून 2015 में सूचकांक कहाँ होने की उम्मीद है। लेकिन अगले 12 महीनों की अवधि में सूचकांक अधिकतम कहाँ तक जा सकता है और कहाँ तक गिर सकता है, इसे समझने के लिए हमने 12 महीनों के संभावित शिखर और तलहटी के बारे में भी जानकारों से पूछा।

निफ्टी के संभावित शिखर के बारे में अब लोग उन स्तरों की भी बातें करने लगे हैं, जिनके बारे में छह महीने पहले सोचा भी नहीं जा सकता था। जनवरी 2014 के सर्वेक्षण में किसी भी विश्लेषक ने निफ्टी के अगले 12 महीनों का संभावित शिखर 8,500 के ऊपर नहीं बताया था। तब केवल 6.3% ने अगले 12 महीनों का संभावित शिखर 7,500 के ऊपर माना था। छह महीने बाद लोगों का जोश बढ़ा है और यहाँ से 12 महीनों की अवधि में किसी भी विश्लेषक ने 8,000 से कम का स्तर नहीं बताया है। वहीं ऊपर 12,700 तक का भी शिखर बताया गया है।

अगले 12 महीनों में निफ्टी का शिखर 9,500 से ऊपर रहने की उम्मीद जताने वाले विश्लेषक 6.4% हैं, जबकि 17% ने यह संभावित शिखर 9,001-9500 के बीच माना है। वहीं 27.7% ने कहा कि यह शिखर 8,501-9,000 के बीच बनेगा। हालाँकि सबसे ज्यादा 42.6% ने बताया है कि वे 8,001-8,500 के बीच शिखर बनने की उम्मीद कर रहे हैं। ठीक 8,000 का स्तर 6.4% विश्लेषकों ने दिया है। इस तरह सारे विश्लेषक मान रहे हैं कि अगले 12 महीनों में निफ्टी कम-से-कम 8,000 पर तो पहुँच ही जायेगा!

दूसरी ओर गिरावट के अंदेशे पहले की तुलना में सीमित लगने लगे हैं। जनवरी 2014 के सर्वेक्षण में अगले 12 महीनों की निफ्टी की तलहटी 64.6% विश्लेषकों ने 5,501-6,000 के बीच बतायी थी। लेकिन इस बार 55.6% विश्लेषक कह रहे हैं कि अगले 12 महीनों की तलहटी 7,001-7,500 के बीच होगी। इसके बाद 33.3% की राय है कि यह तलहटी 6,501-7,000 के बीच होगी। इस तरह 88.9% जानकार कह रहे हैं कि निफ्टी 6,500 पर या इसके नीचे नहीं जाने वाला है। वहीं 6,000 के नीचे तलहटी बनने की तो किसी ने बात ही नहीं की है।

अगर हम अपने इस वर्गीकरण को थोड़ा बदल कर यह देखें कि 7,000 पर या इसके ऊपर ही तलहटी बनता देखने वाले विश्लेषक कितने हैं, तो यह संख्या 64.4% आती है। मोटी बात यह है कि जानकार अब निफ्टी को 7,000 के नीचे जाता नहीं देख रहे हैं। संयोग से निफ्टी की अगले 12 महीनों की संभावित तलहटी का औसत आँकड़ा भी यही आया है।

वैश्विक बाजारों से तेज

विश्लेषकों के उत्साह की झलक इस बात से भी मिलती है कि 84% के जबरदस्त बहुमत ने अगले 12 महीनों में वैश्विक बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार ज्यादा तेज रहने का अनुमान जताया है। भारतीय बाजार की चाल वैश्विक बाजारों के जैसी ही रहेगी, यह कहने वाले विश्लेषक 14% हैं। वहीं वैश्विक बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार धीमा रहने की बात केवल 2% ने कही है।

हालाँकि अगर भारतीय और अमेरिकी बाजारों की तुलना करें, तो दोनों ही बाजार अपने-अपने ऐतिहासिक ऊँचे स्तरों पर चल रहे हैं। इसके बाद भी अधिकांश विश्लेषक आने वाले 12 महीनों में भारतीय बाजार ज्यादा तेज चलने का भरोसा जता रहे हैं।

विकास दर अब भी धीमी

लेकिन जानकारों का उत्साह उस समय फीका पड़ जाता है, जब उनसे भारत की आर्थिक विकास दर के बारे में पूछा जाता है। इस मोर्चे पर कोई नाटकीय बदलाव नहीं हुआ है। जनवरी 2014 में किये गये हमारे सर्वेक्षण में 2013-14 में भारत की विकास दर (जीडीपी वृद्धि दर) का औसत अनुमान 4.92% था। इसका वास्तविक आँकड़ा 4.7% आया है।

वित्त वर्ष 2014-15 के लिए जनवरी 2014 के सर्वेक्षण में अनुमानित विकास दर का औसत 5.58% था। ताजा सर्वेक्षण में यह थोड़ा घटा ही है और 5.5% पर आ गया है। यानी मोदी सरकार बनने के बावजूद विश्लेषक ऐसा नहीं मान रहे कि चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर के मोर्चे पर कोई बड़ा करिश्मा हो सकेगा।

अगले वित्त वर्ष 2015-16 के लिए भी अनुमान जरा ठंडे हैं। विश्लेषकों का औसत अनुमान 6.3% का है। इससे लगता है कि शेयर बाजार में भले ही जितना भी उत्साह हो, मगर बाजार विश्लेषक अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अगली 6-8 तिमाहियों तक भी 7% या इससे ऊपर की विकास दर का सपना नहीं संजो रहे हैं। हालाँकि अगर नयी सरकार ऐसे कदम उठाये जिनका असर आने वाली तिमाहियों में जमीन पर दिखने लगे, तो शायद आगे जा कर विश्लेषकों का उत्साह बढ़ सके।

अगली छमाही का बड़ा मसला

अगले छह महीनों में भारतीय बाजार के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात क्या रहेगी, इस बारे में मिले उत्तरों का निष्कर्ष यह है कि लोग ब्याज दरों का चक्र वापस ऊपर की ओर पलटने का बेताबी से इंतजार कर रहे हैं। इस सर्वेक्षण में 62% जानकारों ने कहा है कि महँगाई दर और ब्याज दर ही अगले छह महीनों के लिए सबसे प्रमुख मसला है। इस समय इराक संकट भले ही सुर्खियों में छाया हो, लेकिन इसे अगले छह महीनों तक के लिए सबसे प्रमुख बात मानने वाले केवल 16% विश्लेषक हैं। वहीं आर्थिक विकास दर को 12% विश्लेषकों ने अगले छह महीनों का मुख्य मुद्दा बताया है। इससे भी लगता है कि ज्यादातर लोग अगले छह महीनों में विकास दर में कोई खास सुधार होता नहीं देख रहे हैं। बजट तात्कालिक रूप से भले ही बाजार के लिए सबसे प्रमुख घटना हो, मगर केवल 2% ने इसे अगले छह महीनों का प्रमुख मसला माना है।

कौन-से क्षेत्र तेज, कौन फिसड्डी

विश्लेषकों ने अगले 12 महीनों में बाजार से तेज और धीमे चलने वाले क्षेत्रों के बारे में जो राय जाहिर की है, उससे साफ है कि बुनियादी ढाँचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर), बैंक, पूँजीगत सामान (कैपिटल गुड्स), बिजली (पावर), ऑटो और तेल-गैस क्षेत्रों में सकारात्मक रुझान रहने की उम्मीदें ज्यादा हैं। जहाँ 40% ने बुनियादी ढाँचा क्षेत्र को तेज माना, वहीं केवल 2% ने इसके मंद रहने की बात कही। इसी तरह बैंक क्षेत्र को भी 40% विश्लेषकों ने तेज बताया, जबकि 10% ने इसे मंद कहा। पूँजीगत सामानों के क्षेत्र को तेज मानने 28% हैं, जबकि इसे मंद किसी ने नहीं बताया। बिजली क्षेत्र में तेजी की उम्मीद 24% को है, जबकि 4% ने इसमें कमजोरी की संभावना देखी है।

दूसरी ओर एफएमसीजी क्षेत्र को लगभग इकतरफा ढंग से विश्लेषकों ने अगले 12 महीनों के लिए कमजोर क्षेत्र माना है। जहाँ 50% मत इसे मंद बताने वाले रहे, वहीं केवल 4% ने इसमें तेजी का मत दिया। टेलीकॉम क्षेत्र को किसी ने तेज नहीं माना, जबकि 8% ने इसे मंद क्षेत्र बताया। आईटी को लेकर लोगों की राय जरा बँटी हुई दिखी, क्योंकि 20% की ठीक-ठाक संख्या ने इसमें तेजी की बात कही, मगर इससे कहीं ज्यादा 28% विश्लेषकों ने इसकी चाल धीमी रहने का अंदेशा जताया। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 07 जुलाई 2014)

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