प्रमुख आईटी कंपनी विप्रो (Wipro) ने चेन्नई में बाढ़ के कारण वहाँ अपने कामकाज पर हुए असर को लेकर एक बयान जारी कर अक्टूबर-दिसंबर 2015 की तिमाही में अपने ऑपरेटिंग मार्जिन में कमी आने की चेतावनी दी है।
कंपनी ने बताया है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से उसके चेन्नई स्थित केंद्रों की सामान्य व्यावसायिक गतिविधियों पर असर पड़ा। इस स्थिति में कंपनी को व्यवसाय की निरंतरता बनाये रखने की योजनाओं पर अमल करना पड़ा, ताकि उसके ग्राहकों के व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण कामों में कोई बाधा नहीं आये। चेन्नई में विप्रो के कई केंद्र हैं, जिनमें 22,000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। कंपनी ने आज के बयान में कहा है कि बाढ़ के दौरान अपने कर्मचारियों एवं उनके परिवारों की सुरक्षा पर खास ध्यान देते हुए उनकी परेशानियाँ कम करने की कोशिश की।
विप्रो ने बताया है कि अब उसके चेन्नई स्थित केंद्रों में मोटे तौर पर सामान्य ढंग से कामकाज होने लग गया है। बाढ़ से नुकसान की भरपाई के बारे में कंपनी ने कहा है कि उसने पर्याप्त बीमा सुरक्षा ले रखी है और नुकसान के आकलन एवं दावे के लिए वह बीमा कंपनियों के संपर्क में है।
अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में अपने वित्तीय प्रदर्शन के बारे में विप्रो ने इस बयान में यह अनुमान (गाइडेंस) रखा है कि इस घटना से उसकी आमदनी पर एक प्रभावी असर होने वाला है। चेन्नई की बाढ़ के चलते कंपनी को अपनी व्यावसायिक निरंतरता योजना के लिए एकमुश्त लागत उठानी पड़ी है। इसके मद्देनजर कंपनी ने कहा है कि इस तिमाही के दौरान उसके ऑपरेटिंग मार्जिन पर प्रभाव पड़ेगा। इसने अनुमान जताया है कि आईटी सेवाओं के व्यवसाय से होने वाली आमदनी पिछले अनुमान में बताये गये 184.1-187.8 करोड़ डॉलर के दायरे में ही रहेगी, लेकिन यह इस दायरे के निचले आधे हिस्से के अंदर रह सकती है।
कंपनी के इस ताजा अनुमान के मद्देनजर एंजेल ब्रोकिंग ने विप्रो के 2015-16 के अनुमानित आँकड़ों में बिक्री में 3.1% और प्रति शेयर आय (EPS) में 2.7% की कटौती कर दी है। एंजेल की वीपी रिसर्च - आईटी, सरबजीत कौर नांगरा ने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस कटौती के बाद भी उन्होंने विप्रो का शेयर खरीदने की सलाह जारी रखी है और इसका लक्ष्य भाव 719 रुपये रखा है।
बुधवार के कारोबार में विप्रो का शेयर हल्के दबाव में रहा। बीएसई में यह 3.60 रुपये या 0.64% की गिरावट के साथ 555.00 रुपये पर बंद हुआ। (शेयर मंथन, 16 दिसंबर 2015)
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