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आरबीआई (RBI) घटाये दरें तो अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा : जेटली (Jaitley)

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा है कि अगर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पूँजी की लागत को कम करता है तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को अच्छा प्रोत्साहन मिलेगा।

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति यानी महँगाई दर, विशेष कर खाद्य महँगाई दर में पिछले कुछ महीनों में कमी आयी है और ईंधन के वैश्विक दाम भी घटे हैं। पूँजी की लागत कम करने से उनका स्पष्ट संकेत आरबीआई की रेपो दर (Repo Rate) और रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate) की ओर था। आरबीआई जब इन दरों को कम करता है तो देश के तमाम व्यावसायिक बैंकों के लिए यह ऋण पर ब्याज दरें कम करने का सीधा संकेत होता है। हालाँकि अपनी इस टिप्पणी में वित्त मंत्री ने यह भी जोड़ा कि आरबीआई काफी पेशेवर संगठन है, जो अपने विवेक से फैसले करता है। वित्त मंत्री ने यह बात दिल्ली में आयोजित 'सिटी इन्वेस्टर समिट में कही। इस कार्यक्रम में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर श्री एस. एस. मुंदरा भी मौजूद थे। 

इस मौके पर वित्त मंत्री ने आर्थिक सुधारों के लिए सरकार के आगामी कदमों का जिक्र करते हुए बताया कि संसद के शीतकालीन सत्र में वस्तु एवं सेवा कर (GST) विधेयक को पेश कर दिया जायेगा। साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि इस सत्र में बीमा संशोधन विधेयक (Insurance Bill) पारित हो जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि वे इस बारे में संसद की प्रवर समिति के संपर्क में हैं और वे उसे अपनी रिपोर्ट जल्द दाखिल करने के लिए राजी करने की कोशिश करेंगे।

जीएसटी के बारे में जेटली ने कहा कि वे विभिन्न राज्य सरकारों के साथ संपर्क बनाये हुए हैं और ज्यादातर विवादित मसले पहले ही सुलझा लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि शराब और पेट्रोलियम उत्पावदों सहित दो क्षेत्रों में राज्य कर लगाने का अधिकार चाहते हैं। जेटली ने उम्मीद जतायी कि सभी लंबित मसले जल्द ही सुलझा लिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि वे जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक के मसौदे को संसद में पेश करने से पहले राज्य वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति को इसके बारे में बतायेंगे।

वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि वे ढाँचागत परियोजनाओं के कार्यान्वयन में विलंब से बचने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून में प्रक्रियागत आवश्यक बदलाव लाने के ‍‍लिए विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं। जेटली ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के लिए निर्धारित किये गये लक्ष्य काफी महत्वाकांक्षी हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि वे हासिल कर लिये जायेंगे। (शेयर मंथन, 17 नवंबर 2014)

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