
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कर संबंधी कॉर्पोरेट विवादों के संबंध में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है और यह स्पष्ट किया है कि भारत कोई टैक्स हैवन यानी करवंचकों का स्वर्ग नहीं है।
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के वार्षिक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि "वैधानिक करों का भुगतान अवश्य किया जाना चाहिए और इसे कर आतंकवाद (टैक्स टेररिज्म) के रूप में नहीं देखना चाहिए।" उन्होंने स्पष्ट किया कि कर-विवादों को निपटाने में सरकार के उचित दृष्टिकोण को कुछ-कुछ गलत समझा गया है। उन्होंने कहा कि भारत में कर आतंकवाद नहीं है, मगर यह कोई टैक्स हैवन भी नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य सामने मौजूद चुनौतियों और खास कर कराधान (टैक्सेशन), भूमि अधिग्रहण और भ्रष्टाचार संबंधी समस्याओं को दूर करते हुए एक अनुकूल कारोबारी माहौल बनाना है। बीते 10 महीनों के कार्यकाल के बारे में उन्होंने कहा कि भारत की विश्वसनीयता को बहाल करने के लिए सरकार ने अर्थव्यवस्था में खुलापन लाने का फैसला किया है। इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा बढ़ायी गयी है।
व्यवसाय में आसानी को बढ़ाने के लिए सरकार कर सुधारों पर ध्यान दे रही है। इस बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार जीएसटी लागू करने और कॉर्पोरेट टैक्स को घटाने पर जोर रही है। (शेयर मंथन, 06 अप्रैल 2015)