
न्यायमूर्ति ए के माथुर की अध्यक्षता वाले सातवें वेतन आयोग ने आज केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। न्यायमूर्ति माथुर ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को यह रिपोर्ट सौंपी। सातवें वेतन आयोग ने वर्तमान और पूर्व केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और पेंशन में 23.55% वृद्धि किये जाने की सिफारिश की है। आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन (बेसिक सैलरी) को 16% बढ़ाने का सुझाव दिया है। इसके अलावा कर्मचारियों को मिलने वाले भत्तों को 63% बढ़ाने की सलाह दी गयी है। सेवानिवृत हो चुके कर्मचारियों को मिलने वाला पेंशन 24% बढ़ाने के लिए कहा गया है। साल 2008 में केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में 35% की वृद्धि की गयी थी।
इस वेतन आयोग ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाला न्यूनतम वेतन बढ़ा कर 18,000 रुपये करने और सबसे ऊपरी श्रेणी पर अधिकतम वेतन की सीमा 2.25 लाख रुपये रखने का सुझाव दिया है। कैबिनेट सचिव और इस स्तर के अन्य अधिकारियों का वेतन 2.50 लाख रुपये रखने के लिए कहा गया है। गौरतलब है कि साल 1946 में बने पहले वेतन आयोग ने 35 रुपये का मूल वेतन निर्धारित किया था, जो बढ़ते-बढ़ते 2006 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक 7,730 रुपये पर पहुँचा था।
सातवें वेतन आयोग ने अपनी सिफारिशें सौपने में पौने दो साल का समय लिया। इसका गठन फरवरी 2014 में हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता में गठित इस आयोग के सदस्यों में विवेक राय, डॉक्टर राथिन रॉय और मीना अग्रवाल भी शामिल थे। केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों को वेतन आयोग के इन सुझावों का लाभ मिलेगा। आयोग ने वेतन वृद्धि की तारीख 1 जनवरी 2016 रखने के लिए कहा है। सरकार ने संकेत दिया है कि वह इन सुझावों पर काफी शीघ्रता से विचार करेगी। (शेयर मंथन, 19 नवंबर 2015)