
फिक्की ने कहा है कि भारत में वर्तमान पेंशन परिदृश्य कम पेंशन कवरेज और अपर्याप्त पेंशन द्वारा चिह्नित है। पेंशन सेक्टर में सक्रिय और नीतिगत हस्तक्षेप की जरूरत है।
फिक्की ने सुझाव दिया है कि भारत में पेंशन कवरेज बढ़ाने के लिए सरकार उच्च टैक्स प्रोत्साहन और विभिन्न पेंशन योजनाओं के अनुरूप कर उपाय पर विचार कर सकती है। इसके अलावा नियोक्ताओं को पेंशन योजना के तरीके उपलब्ध कराने के साथ-साथ विभिन्न पेंशन योजनाओं और उसके लाभों के बारे में अपने कर्मियों को शिक्षित करना चाहिए।
फिक्की ने बुधवार को केपीएमजी के साथ साझा तौर पर जारी श्वेत पत्र ‘एम्पलाई पेंशन्स इन इंडिया- करेंट प्रैक्टिसेस, चैलेंजेस एंड प्रोसपेक्ट्स’ में कहा कि भारत में एक व्यापक और स्थायी पेंशन व्यवस्था का निर्माण जरूरी है। इसके लिए सभी हितधारकों – सरकार, नियामक, कर्मियों और नियोक्ताओं को भारत में पेंशन दायरे को व्यापक और मज़बूत बनाने के तरीके तलाशने के लिए एक केंद्रित और रचनात्मक चर्चा में शामिल होना होगा। नियोक्ताओं पर प्रशासनिक बोझ को कम करने और अतिरिक्त पेंशन बचत को प्रोत्साहित करने के लिए, पेंशन लाभ के लिए कर व्यवस्था में सतर्क और सूक्ष्म हस्तक्षेप की जरूरत है।
फिक्की महासचिव डॉ ए. दीदार सिंह का कहना है कि, 'भारत में एक मजबूत पेंशन प्रणाली अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहाँ आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा किसी भी सामाजिक सुरक्षा योजना से महरूम है। फिक्की- केपीएमजी श्वेत पत्र ईपीएफ, एनपीएस और सेवानिवृत्ति निधि जैसी नियोक्ता पेंशन योजनाओं का तुलनात्मक विश्लेषण प्रदान करता है और इन योजनाओं के विकास पर असर डालने वाले कारकों को सूचीबद्ध करता है। पत्र ऐसे कारकों पर नियोक्ताओं के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है जो देश में पेंशन के कवरेज में सुधार करने में सहायक हो सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इन सिफारिशों पर सरकार ध्यान देगी क्योंकि वृद्धावस्था सामाजिक सुरक्षा लोक नीति एजेंडा में ऊपर है।'
सुश्री पेरीज़ाद सिरवाला, पार्टनर एंड हेड, ग्लोबल मोबिलिटी सर्विसेस, टैक्स, केपीएमजी इन इंडिया ने कहा, 'औसत आयु बढ़ने, संयुक्त परिवार व्यवस्था के कमज़ोर होने से यह जरूरी हो गया है कि भारत वृद्धावस्था गरीबी और सामाजिक संकट से बचने के लिए एक व्यापक पेंशन प्रणाली तंत्र तैयार करे। चूँकि, पेंशन एक बहुत दीर्घकालिक योजना है, चक्रवृद्धि ब्याज के कारण निवेश प्रतिफल में छोटे परिवर्तन अंतिम सेवानिवृत्ति बचत पर बड़ा प्रभाव डालते हैं।’ (शेयर मंथन, 09 दिसंबर, 2015)