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जीडीपी वृद्धि ने जगाये अनुमान से बेहतर के अरमान

भारतीय अर्थव्यवस्था में उम्मीदों के अँकुर फूटते दिख रहे हैं। सोमवार को जारी आर्थिक आँकड़े में अनुमान जताया गया है कि वित्त वर्ष 2015-16 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.6% रह सकती है।

सरकार ने अपने संशोधित अनुमान में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के 7% से 7.5% के दायरे में रहने की बात कही थी लेकिन अब वृद्धि दर उससे कुछ अधिक 7.6% रह सकती है। मगर इसके लिए ज़रूरी होगा कि चौथी और अंतिम तिमाही में आर्थिक मोर्चे पर कुछ तेजी आये और इस दौरान 7.6% की वृद्धि दर्ज हो।

तीसरी तिमाही में अनुमान के अनुरूप वृद्धि दर
जारी आँकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष (2015-16) की तीसरी तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.3% रही। आर्थिक वृद्धि के ये आँकड़े हालाँकि बहुत तेजी के संकेत तो नहीं देते, मगर ये अनुमान के अनुरूप ही हैं। हालाँकि तीसरी तिमाही की वृद्धि दर दूसरी तिमाही में संशोधित वृद्धि के 7.7% के मुकाबले कमजोर रही। लेकिन जानकारों का मानना है कि देसी अर्थव्यवस्था पर लगातार दूसरे साल सूखे की मार को देखते हुए जीडीपी की यह रफ्तार भी ठीक कही जायेगी। असल में सूखे के प्रभाव का असर ग्रामीण बाजार पर साफ तौर पर नज़र आ रहा है।

...तो सबसे तेज रफ्तार वृद्धि वाली हो जायेगी भारतीय अर्थव्यवस्था
अर्थव्यवस्था के अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन में विनिर्माण गतिविधियों में तेजी अहम भूमिका निभा रही है। इसमें तेजी के लिए दो कारक महत्वपूर्ण बताये जा रहे हैं। एक तो सरकार की "मेक इन इंडिया" पहल और दूसरे जिंसों के कमजोर दाम, जिससे विनिर्माताओं की लागत घटी है। इस साल जीडीपी की वृद्धि दर 7.6% रहती है तो यह चीन को पछाड़कर सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बन जायेगी। चीन की वृद्धि दर इस साल 6.9% रहने के आसार हैं। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था 2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने से भी चंद कदम दूर है। (शेयर मंथन, 09 फरवरी, 2016)

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