
वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने बजट 2016 (Budget 2016) में कृषि क्षेत्र पर काफी ज्यादा जोर दिया है। केवल उद्योग जगत और शहरी आबादी पर ध्यान देने की आलोचना का जवाब इस बजट में देने की कोशिश की गयी है।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि दबाव के दौर से गुजर रहे ग्रामीण क्षेत्रों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। इस बजट में किसानों को आय सुरक्षा देने का वादा किया गया है। इस बजट में यह नजरिया रखा गया है कि अगर देश को खाद्य सुरक्षा चाहिए तो इसके लिए किसानों को आय सुरक्षा देनी होगी। पाँच साल में किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया है।
कृषि क्षेत्र के लिए ऋण का 9 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है, जो अब तक सर्वाधिक ऊँचा स्तर होगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में नयी पूँजी आयेगी। ग्राम पंचायतों को 2.87 लाख करोड़ रुपये का अनुदान दिया जायेगा।
इससे भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नयी हलचल शुरू होगी। मनरेगा (MNREGA) पर फिर से जोर देने की बात कहते हुए इसके लिए 38,500 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है।
सिंचाई के लिए नया ढाँचा बनाने और बाजार तक किसानों की पहुँच बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है। इसके लिए एकीकृत कृषि बाजार योजना के साथ-साथ एक ई-प्लेटफॉर्म बनाने की घोषणा की गयी है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) एक ऑनलाइन खरीद कार्यक्रम शुरू करेगा। कृषि क्षेत्र के लिए 35,984 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। कृषि ऋणों पर ब्याज छूट के लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। सिंचाई योजनाओं पर पाँच वर्षों में 86,500 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है। त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के लिए 17,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं।
फसल बीमा योजना के लिए 2016-17 में 5,500 करोड़ रुपये रखे गये हैं। कृषि विकास योजना के तहत 5 लाख एकड़ भूमि को रसायन-मुक्त कृषि (ऑर्गेनिक फार्मिंग) के दायरे में लाया जायेगा। दुग्ध कृषि (डेयरी फार्मिंग) के लिए 4 नयी योजनाएँ शुरू करने पर 850 करोड़ रुपये खर्च किये का प्रावधान है। साथ 1 मई 2018 तक 100% गाँवों तक बिजली पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। (शेयर मंथन, 29 फरवरी 2016)