शेयर मंथन में खोजें

कर प्रणाली साफ-सुथरी कर रही है सरकार : शैलेष हरिभक्ति

इस हफ्ते मंगलवार को भारत सरकार ने मॉरीशस के साथ दोहरे कराधान से बचाव की संधि (DTAT) में संशोधनों पर हस्ताक्षर किये, जिससे भारत में मॉरीशस के रास्ते आने वाले निवेश पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगाने का अधिकार मिल गया है।

इस संशोधन के असर के बारे में डी एच कंसल्टेंट्स के ग्रुप चेयरमैन शैलेष हरिभक्ति के साथ राजीव रंजन की बातचीत।
मॉरीशस के साथ कर संधि में हुए संशोधन के समझौते को आप कैसे देखते हैं?
मैं इसको सकारात्मक नजरिये से देख रहा हूँ, क्योंकि हमारी प्रणाली में जहाँ भी आर्बिट्राज के मौके हैं, धीरे-धीरे सरकार उन सभी खामियों को निकाल कर प्रणाली को बिल्कुल साफ-सुथरा कर रही है, ताकि आम लोगों को भी पता चल सके कि क्या कर देनदारी है। सब चीजों में बराबरी का व्यवहार हो जायेगा। जो शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (से संबंधित निवेश) हैं, वे सब समान तरीके से आयेंगे। अब कोई अमेरिका से निवेश लाये तो उसको क्यों ज्यादा टैक्स देना पड़े? मॉरीशस वाला ढाँचा जबरदस्ती करना पड़ता था, अब वह जबरदस्ती बंद हो जायेगी। मुझे लगता है कि यह सब निष्पक्षता और सरलता लाने की दृष्टि से हो रहा है। यह सकारात्मक है।
एक धारणा यह है कि इससे काले धन पर भी अंकुश लग सकेगा। क्या आपको ऐसा लगता है?
मैं वित्त मंत्रालय के जो भी कदम देख रहा हूँ, उसमें वे काफी गहराई में जा कर काले धन को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। धीरे-धीरे कर संबंधी चीजों को भी पकड़ रहे हैं। अप्रत्यक्ष कर (इनडायरेक्ट टैक्स) और प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) दोनों को पकड़ रहे हैं। ये पूरी कर प्रणाली बदल रही है। लोगों को मिलने वाला (कर चोरी का) प्रलोभन बदला जा रहा है। किसी को यह अधिक प्रलोभन नहीं रहेगा कि मैं कर चोरी कर लूँ।
मॉरीशस से तो इस बारे में काफी समय से बात चल रही थी, पर सफलता इस सरकार को मिली। क्या आपको लगता है कि इस सरकार और पिछली सरकार के इरादों में फर्क था?
इरादों में अंतर होना ही है। इसे क्रमशः बदलाव वाला कदम भी कहा जा सकता है और साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि इरादों में अंतर आया है।
एक तर्क यह हो सकता है कि पिछली सरकार भी कोशिश कर रही थी, और उस सरकार की बातचीत का लाभ इस सरकार को मिला है। दूसरी ओर यह कहा जा सकता है कि पिछली सरकार सिर्फ बातें कर रही थी और इस सरकार ने करके दिखाया है। इन दोनों में से आपको ज्यादा सही क्या लगता है?
इस सरकार ने करके दिखाया। देखिए, वित्त मंत्रालय बहुत अच्छे तरीके से काम कर रहा है। मैं देख रहा हूँ कि उसकी कार्रवाई बहुत असरदार है।
सामान्य भाषा में अगर आप समझायें कि इस समझौते से काले धन पर अंकुश लगाने में कैसे मदद मिलेगी, तो क्या कहना चाहेंगे?
इसमें काले धन से ज्यादा कर से बचने का मसला था। काले धन का इसमें यही पहलू है कि जो पैसा बाहर चला गया था, वह कर चुकाये बिना मॉरीशस के रास्ते वापस लाया जाता था। अब वह गणित बंद हो गया। आम भाषा में यह समझना चाहिए कि काला धन बना कर उसका रास्ता घुमा कर (मॉरीशस होते हुए) कर-मुक्त पैसे के रूप में वापस ले आने का जो प्रलोभन था, वह अब नहीं होगा। इसलिए अब लोग यह सोचेंगे कि हम काला धन पैदा ही नहीं करें। अब अगर काला धन बनेगा ही नहीं तो उसके सफेद बनाने की भी जरूरत नहीं है। कर की दरों में नॉन लेवल प्लेइंग फील्ड यानी गैर-बराबरी का व्यवहार भी नहीं रहेगा, इसलिए सबको बराबरी के स्तर पर ला रहे हैं। यह बहुत सीधी सी और समझदारी की बात है।
अब क्या इसी तरह के समझौते दूसरे देशों के साथ भी किये जायेंगे।
बिल्कुल, मैं तो पहले से कह रहा हूँ कि हर देश के साथ कर समझौता एक जैसा होना चाहिए। हम क्यों अलग-अलग देशों के साथ अलग-अलग समझौते करें? आगे चल कर यूएई, साइप्रस और जहाँ भी गैर-बराबरी वाला व्यवहार है, उन सबके साथ समझौतों में संशोधन होना चाहिए।
(शेयर मंथन, 15 मई 2016)

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन : डाउनलोड करें

बाजार सर्वेक्षण (जनवरी 2023)

Flipkart

विश्व के प्रमुख सूचकांक

निवेश मंथन : ग्राहक बनें

शेयर मंथन पर तलाश करें।

Subscribe to Share Manthan

It's so easy to subscribe our daily FREE Hindi e-Magazine on stock market "Share Manthan"