राजीव रंजन झा
शेयर बाजार के बारे में दो विरोधी बातें हर वक्त सच रहती हैं। पहली बात यह कि बाजार की दिशा का कयास लगाना बेहद मुश्किल, असंभव जैसा काम है। दूसरी बात यह कि कयास लगाने की यह कसरत बाजार में हमेशा चलती रहती है और हर व्यक्ति यही करता है।
तो चलिए, कयास लगाने के इसी सिलसिले को थोड़ा आगे बढ़ाते हैं। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज के निदेशक रामदेव अग्रवाल ने अपनी एक ताजा टिप्पणी में कहा है कि उनके अनुमान से कारोबारी साल 2009-10 में सेंसेक्स की प्रति शेयर आय (ईपीएस) 970 रुपये होगी। बाजार आम तौर पर एक साल आगे की आमदनी के अनुमानों पर चलता है और उसके मुताबिक ही पीई मूल्यांकन का हिसाब लगाता है। उस आधार पर 970 रुपये का यह आँकड़ा अब सेंसेक्स के मूल्यांकन का आधार बना रहेगा, जब तक कि इसके अगले कारोबारी साल, यानी 2010-11 के अनुमान सामने न आ जायें।
अगर हम मौजूदा माहौल को ध्यान में रख कर सेंसेक्स का स्वाभाविक पीई अनुपात 12-15 के दायरे में मानें तो 970 रुपये की ईपीएस पर इसका स्वाभाविक स्तर 11,640 से 14,550 का बनता है। यहाँ ध्यान रखने की बात यह है कि सेंसेक्स के लिए 12-15 पीई काफी संकोच के साथ ही स्वाभाविक मूल्यांकन कहा जा सकता है। आम तौर पर कभी सेंसेक्स का पीई अनुपात 10 के नीचे नहीं फिसलता है और हाल की गिरावटों में हमने उन्हीं सबसे निचले मूल्यांकनों पर सेंसेक्स को देखा था।
खैर, 970 रुपये की सेंसेक्स ईपीएस और 12-15 का पीई अनुपात रहने के अनुमान में दोतरफा जोखिम जुड़ा रहेगा। पहली स्थिति यह हो सकती है कि आर्थिक माहौल काफी बिगड़ने पर वास्तव में सेंसेक्स ईपीएस 970 रुपये से कम या काफी कम रह जाये। वैसी हालत में 12-15 का पीई मूल्यांकन भी नहीं मिलेगा। दूसरी स्थिति यह हो सकती है कि अगर वास्तव में सेंसेक्स ईपीएस 970 रुपये से ज्यादा ऊपर रहा, तो इस सकारात्मक आश्चर्य से बाजार का उत्साह भी छलांगें मारने लगेगा। तब 970 रुपये से ऊपर की ईपीएस पर 15-20 के पीई अनुपात से सेंसेक्स का स्वाभाविक दायरा क्या बनेगा, यह लिखना फिलहाल अति-आशावाद करार दिया जायेगा। लेकिन यदि आपकी जिज्ञासा हो तो कैलकुलेटर आपके पास है ही ना!