
कर्ज वितरण में बढ़ोतरी और रोजगार सृजन के लिए केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूँजी देने का फैसला किया है।
इन बैंकों को यह पूँजी कारोबारी साल 2017-18 और कारोबारी साल 2018-19 के दौरान मिलेगी। इस अतिरिक्त पूँजी की मदद से बैंक अधिक कर्ज देने में सक्षम हो सकेंगे, जिसकी वजह से परियोजनाओं को गति मिलेगी और रोजगार के नये मौके उत्पन्न होंगे।
केंद्र सरकार जो 2.11 लाख करोड़ रुपये सरकारी बैंकों को देने वाली है, उसमें से 1.35 लाख करोड़ रुपये बॉन्ड के जरिये जुटायेगी। दरअसल सरकार नहीं चाहती कि बैंकों को यह मदद देने से फिस्कल डेफिसिट बढ़े, इसीलिए बॉन्ड लाने की योजना बनायी गयी है। इसके अलावा 18,139 करोड़ रुपये बजट प्रावधानों के जरिये बैंकों को दिये जायेंगे, जबकि लगभग 58,000 करोड़ रुपये की रकम बैंकों के शेयर बेच कर और बाजार से कर्ज से उठा कर जुटायी जायेगी।
सरकार ने साफ किया है कि सरकारी बैंकों के पूँजीकरण के साथ ही साथ उन्हें वित्तीय व्यवस्था में अहम भूमिका निभाने में सक्षम बनाने के लिए सुनिश्चित कदम उठाये जायेंगे। जिन सरकारी बैंकों की बैंकिंग क्षेत्र में 70 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है, उन्हें और विकास करने के लिए प्रेरित किया जायेगा।
वित्त मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया है कि पूँजी उपलब्ध करा कर और बाजार तक पहुँच में बढ़ोतरी करा कर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के विकास पर व्यापक बल दिया जायेगा। सरकार ने 50 क्लस्टरों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को पूँजी उपलब्ध कराने का अभियान चलाने की योजना बनायी है। (शेयर मंथन, 24 अक्टूबर 2017)