घबरायें हमारे दुश्मन
राजीव रंजन झा
मुंबई में कोई भी बड़ी आतंकवादी घटना होने पर मन में यही ख्याल आता है कि शेयर बाजार में भी एक अफरातफरी मचेगी, लोग घबराहट में औने-पौने भावों पर बिकवाली करेंगे और सेंसेक्स में एक बड़ी गिरावट दिखेगी। हम सबके मन में एक बार फिर से 1993 की यादें कौंध जाती हैं। लेकिन ऐसे किसी भी मौके पर हमारा घबरा जाना ही वह लक्ष्य है, जो हमारा दुश्मन चाहता है। ऐसी वारदातें क्यों होती हैं, हमें डराने और घबराने के लिए ही तो। इसलिए इन घटनाओं के जवाब में हमारी पहली प्रतिक्रिया यही होनी चाहिए कि हम घबरायें नहीं। यही उम्मीद करनी चाहिए बाजार में शुरुआती डगमगाहट जो भी हो, लेकिन मुंबई में आतंकवादी हमले का शेयर भावों पर कोई खास असर नहीं रहेगा।