
बतौर रेल मंत्री पवन कुमार बंसल (Pawan Kumar Bansal) का पहला रेल बजट पेश होने के बाद लोगों के बीच कैसी सोच बनी, यह बड़ी आसानी से फेसबुक जैसी वेबसाइटों पर लोगों की टिप्पणियों में देखा जा सकता है।
पेश हैं कुछ ऐसी ही टिप्पणियाँ :
डॉ. कुमार विश्वास : रेल में चाय-वाय तक ठीक मिलती नहीं ये वाय-फ़ाय लगवा रहे हैं! दर्द पेट में हैं ये डीओडोरेंट ले कर आये हैं! हमारा धोबी नत्था पूछ रहा है " ए बाबु तनी हमका बतावा ...इ बाई-फाई का संडास में भी काम करता है जी? हम तो उहीं बैठ कर जात रहिन आपने गाम.." पवन बंसल का नॉ दे दूँ इसे ?....PM बड़े खुश दिखे आज संसद में जब रेल मंत्री की किसी ने नहीं सुनी! सोचते होंगे चलो अच्छा है मैं तो इसीलिए बोलता ही नहीं !
धर्मेंद्र राय : रेल बजट जनता को रेल बना दी ये देश का रेल बजट था या रायबरेली और अमेठी का चंडीगढ़ का रेल बजट है।
बालकृष्ण झा : वर्तमान केंद्र सरकार ने महँगाई तो बढ़ाई ही महँगाई की परिभाषा भी बदल डाली। रिजर्वेशन फी, तत्काल चार्ज एवं कैंसलेशन फी बढ़ा दिये गये हैं और कहा जा रहा है किराया नहीं बढ़ा!!
सुनील कुमार : रेल बजट के बीच कुछ यात्री संसद के बाहर धरना दे रहे है उनकी मांग है जो लोग ई टिकट बुक कराते है उनके लिए अलग से ई-ट्रेन चलायी जाये।
श्याम जगोता : तीन महीने के भीतर ही तीसरी बार रेल किराया बढ़ गया, ऐसी क्या मज़बूरी है की तीन-तीन बार बढ़ाना पड़ा?, क्या इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाली ट्रेनों पर भी फ्यूल सरचार्ज लगेगा?
प्रवीण शर्मा : भारतीय रेल रात के मीनू से दही और आइसक्रीम को निकाले। ये स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
मोहित शर्मा : रेलमंत्री ने घोषणाएँ तो बहुत की हैं लेकिन इन सुविधाओँ को सच करके दिखाना होगा तभी ये बजट अच्छा माना जायेगा।
सचिन अग्रवाल : अच्छा रेलवे बजट... धन्यवाद पवन बंसल।
ज्ञान प्रकाश : किराया बढ़ाने मे कोई आपत्ति नही यदि यात्रियों को रेलवे अच्छी सुविधायें भी दें साथ ही गाड़ियों की संख्या भी बढ़ायी जानी चाहिये। (शेयर मंथन, 26 फरवरी 2013)