केंद्र सरकार ने मंगलवार 16 जुलाई की शाम को 13 क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से जुड़े नियमों में ढील देने का फैसला किया।
मंत्रिमंडल की बैठक में संचार (टेलीकॉम) और रक्षा क्षेत्र जैसे कई संवेदनशील क्षेत्रों के लिए भी एफडीआई नियमों को उदार बनाने का यह फैसला किया गया। हालाँकि हवाई सेवा क्षेत्र के लिए भी एफडीआई सीमा बढ़ाने की अटकलें थीं, मगर इस क्षेत्र की एफडीआई सीमा को पुराने स्तर यानी 49% पर ही रखा गया है। मीडिया और मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र के लिए भी नियमों में कोई फेरबदल नहीं किया गया है।
संचार क्षेत्र में अब तक 74% एफडीआई की अनुमति थी, जिसे बढ़ा कर अब 100% कर दिया गया है। संचार क्षेत्र में 49% तक एफडीआई स्वचालित ढंग से हो सकेगा, जबकि इससे ज्यादा निवेश के लिए एफआईपीबी मंजूरी की जरूरत होगी।
रक्षा क्षेत्र में अब 49% एफडीआई की अनुमति होगी, लेकिन केवल आधुनिकतम तकनीक से रक्षा उत्पादन के मामलों में। इसमें पुरानी सीमा यानी 26% एफडीआई तक की अनुमति एफआईपीबी के स्तर पर ही मिल सकेगी, जबकि इसके आगे 49% तक एफडीआई की विशेष अनुमति के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी जरूरी होगी और ऐसे प्रस्तावों पर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) विचार करेगी। यह विशेष अनुमति आधुनिकतम तकनीक से रक्षा उत्पादन के लिए होने वाले निवेश पर ही मिलेगी।
बीमा क्षेत्र में स्वचालित ढंग से एफडीआई सीमा 26% से बढ़ा कर 49% कर दी गयी है। लेकिन इसके लिए सरकार को संसद की मंजूरी लेनी होगी। अभी इस बारे में विधेयक राज्य सभा के सामने है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस में एफडीआई निवेश अब एफआईपीबी अनुमति के बदले स्वचालित (ऑटोमैटिक) ढंग से होगा। इस क्षेत्र में एफडीआई सीमा 49% ही बनाये रखी गयी है। इसी तरह बिजली एक्सचेंजों के लिए एफडीआई सीमा पहले की तरह 49% रखते हुए इस एफआईपीबी से हटा कर स्वचालित निवेश की श्रेणी में ला दिया गया है।
एकल ब्रांड वाले खुदरा कारोबार में अब 49% तक एफडीआई निवेश स्वचालित ढंग से हो सकेगा, जबकि इससे ज्यादा एफडीआई के लिए एफआईपीबी की मंजूरी लेनी होगी।
कूरियर सेवाओं में 100% तक एफडीआई को अब स्वचालित श्रेणी में रखा गया है।
पेट्रोलियम रिफाइनिंग, एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों, ऋण सूचना (क्रेडिट इन्फॉर्मेशन) कंपनियों, स्टॉक एक्सचेंजों, डिपॉजिटरी और चाय प्लांटेशन के क्षेत्रों में भी एफडीआई की सीमा बढ़ी है या अनुमति प्रक्रिया को सरल किया गया है। (शेयर मंथन, 16 जुलाई 2013)