शेयर मंथन में खोजें

मैन्युफैक्चरिंग ठंडी

राजीव रंजन झा

इस रविवार को सरकार ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए बड़े सोच-विचार के बाद जो आर्थिक पैकेज सामने रखा, उसका स्वागत लोग आधे-अधूरे मन से ही कर पाये। अब अगर पैकेज आधा-अधूरा था, तो इससे बेहतर स्वागत कैसे होता! और अब उद्योग संगठन फिक्की की एक ताजा रिपोर्ट बता रही है कि क्यों अर्थव्यवस्था को ज्यादा दवा की दरकार है। फिक्की के एक सर्वे के मुताबिक कई क्षेत्रों की उत्पादक (मैन्युफैक्चरर) कंपनियों ने नवंबर 2008 से मार्च 2009 के दौरान अपने उत्पादन में 10-50% तक की कटौती की योजना बना ली है। यह इस बात का सीधा संकेत है कि अगर ऐसी ही आर्थिक अनिश्चितता बनी रही तो आने वाले महीनों में उत्पादक (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र में धीमापन रहने वाला है।


अक्टूबर महीने के लिए औद्योगिक उत्पादन के आँकड़े 2 दिन बाद आने हैं, लेकिन फिक्की के इस सर्वे से एक संकेत जरूर लिया जा सकता है। इसमें बताया गया है कि अक्टूबर महीने में कपड़ा क्षेत्र 3%, चमड़ा क्षेत्र 13% और धातु क्षेत्र 30% की गिरावट दर्ज कर सकते हैं। रसायन (केमिकल्स) क्षेत्र में 5% और मशीनरी क्षेत्र में 17% बढ़त की उम्मीदें जरूर हैं।
बाजार ठंडा देख कर कई क्षेत्रों की कंपनियाँ तेजी से कर्मचारियों की संख्या घटा रही हैं। कपड़ा और रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्रों में पहले ही बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियाँ जाने की खबरें आ चुकी हैं। अब फिक्की के इस सर्वे के मुताबिक अगले कुछ महीनों में कपड़ा, धातु और धातु-उत्पाद, चमड़ा और रत्न-आभूषण जैसे क्षेत्रों में रोजगार 10-30% तक घट सकता है।
सरकार बार-बार यह दावा करती रही है कि 2008-09 में विकास दर 7% रहने की उम्मीद है। लेकिन इस तरह की खबरों के बीच अगर बाजार को सरकारी दावों पर भरोसा नहीं हो पा रहा है, तो इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं है। यह सही है कि भारत की स्थितियाँ अलग हैं और विकसित देशों में मंदी के बावजूद हम एक ‘अच्छी’ विकास दर बनाये रख सकते हैं। लेकिन धारा से विपरीत तैरने के लिए ज्यादा मेहनत भी करनी होगी। आधी-अधूरी कोशिशें मौजूदा वैश्विक संकट से हमें नहीं बचा सकेंगीं। अफसोस की बात तो यह है कि सरकार अब भी अर्थव्यवस्था की गाड़ी अपने-आप चलते रहने के भरोसे बैठी दिखती है। उसकी कोशिशों में कहीं भी आपदा-नियंत्रण वाली मुस्तैदी नहीं दिख रही। और अब चंद दिनों में सरकार की पहली प्राथमिकता चुनावी जंग होगी। हे अर्थव्यवस्था, अभी कुछ इंतजार करो, खुद ही संभलो।

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन : डाउनलोड करें

बाजार सर्वेक्षण (जनवरी 2023)

Flipkart

विश्व के प्रमुख सूचकांक

निवेश मंथन : ग्राहक बनें

शेयर मंथन पर तलाश करें।

Subscribe to Share Manthan

It's so easy to subscribe our daily FREE Hindi e-Magazine on stock market "Share Manthan"