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सस्ते कर्ज का अगर-मगर

राजीव रंजन झा

कोई तोहफा मिले तो खुशी ही होती है। इसीलिए बैंकों की ओर से सस्ती ब्याज दरों की घोषणा पर लोग खुश हैं। रियल एस्टेट कंपनियाँ भी खुश हैं, क्योंकि उन्हें यह घोषणा डूबते को तिनके का सहारा लग रही है। निवेशक खुश हैं कि रियल एस्टेट शेयरों के भाव फिर से चढ़ने लगे हैं। बैंक खुश हैं कि अपने मार्जिन पर ज्यादा कोई दबाव डाले बिना उन्होंने सरकार को खुश कर दिया है। सरकार खुश है, क्योंकि चुनाव में डुगडुगी बजाने के लिए उसे एक और नारा मिल गया है।

लेकिन शायद इस कतार में अंतिम नाम, यानी सरकार को छोड़ कर बाकी किसी के लिए शायद खुश होने वाली कोई खास बात वास्तव में नहीं हुई है। पहले लोगों की बात कर लेते हैं। सरकारी बैंकों ने 5 लाख रुपये तक का घर कर्ज 8.5% की ब्याज दर पर मुहैया कराने का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन राम जाने इस सीमा के अंदर अब लोगों को कहाँ घर मिलेगा। अगर इस कीमत का घर मिल भी गया तो उसके लिए घर कर्ज पाने की पात्रता के पैमानों पर खरे उतरना मुश्किल होगा। रही बात 5-20 लाख रुपये तक के घर की, तो वह भी महानगरों के खरीदारों के लिए किसी काम का नहीं है। यह बात ठीक है कि महानगरों में ही पूरा भारत नहीं बसता है, लेकिन तमाम रियल एस्टेट कंपनियों की बिक्री और बैंकों की ओर से दिये जाने वाले घर कर्ज का बड़ा हिस्सा तो वहीं से आता है।
कुछ लोग उम्मीद जता रहे हैं कि अब छोटे-छोटे शहरों में रियल एस्टेट कंपनियों के लिए एक नया और बड़ा बाजार बनेगा। लेकिन यह भी याद रखें कि सस्ते कर्ज की यह योजना 30 जून 2009 को खत्म हो जायेगी। जब तक कंपनियाँ 5-20 लाख रुपये के बजट वाले मकानों की योजनाएँ तैयार करेंगीं, तब तक सस्ती ब्याज दरों की यह महान योजना अपनी उम्र पूरी कर चुकी होगी। लेकिन इस योजना की डुगडुगी पिटने का एक यह असर जरूर होगा कि जो लोग 25-30 लाख रुपये का घर कर्ज लेकर मकान खरीदने की सोच भी रहे थे, वे भी अब अपने बजट को थोड़ा समेट लेंगे, जिससे उन्हें सस्ता कर्ज मिल जाये। लेकिन उन्हें इस दायरे में अपनी पसंद का कोई घर मिलेगा नहीं, क्योंकि रियल एस्टेट कंपनियाँ अभी एफोर्डेबल हाउसिंग की बस बातें ही कर रही हैं। अपनी योजनाओं को अंतिम रूप देते-देते उन्हें कुछ महीने लग सकते हैं। फिर खरीदारों को मन बनाने में भी तो कुछ समय लगेगा।
बेशक, सरकार जरूर खुश हो सकती है, क्योंकि इस योजना के असर का लेखाजोखा जब तक लिया जायेगा, तब तक चुनाव हो चुके होंगे। खैर, बतौर निवेशक आपको इन सब बातों से कितना खुश होना है, यह आप खुद ही सोच लें।

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