उद्योग संगठन फिक्की (FICCI) ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मुख्य ब्याज दरों को यथास्थिति रखने के फैसले का समर्थन किया है।
फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला (Sidharth Birla) के मुताबिक आरबीआई का यह कदम नयी सरकार द्वारा पद्भार सँभालने के बाद बने सकारात्मक रूझान के बीच निवेश और विकास दर को बढ़ाने के एजेंडे को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहन देगा। फिक्की के मुताबिक आरबीआई की इस नीतिगत बैठक के बाद विकास दर बढ़ाने के लिए हमारी उम्मीदें आगामी केंद्रीय बजट पर पूरी तरह से टिकी रहेंगी।
बिड़ला के मुताबिक फिक्की लगातार इस बात का समर्थन करती रहा है कि मौद्रिक नीति सिर्फ महँगाई पर नहीं बल्कि सभी कारकों को ध्यान में रख कर तैयार की जानी चाहिए। सरकार और आरबीआई दोनों को महँगाई नियंत्रित करने व विकास के साथ इसे संतुलित बनाये रखने के लिए मिल-जुलकर काम करना चाहिए। हालाँकि हमें उम्मीद है कि सरकार आपूर्ति पक्ष की ओर से निर्धारित प्रशासनिक नीतियों के जरिये खाद्य महँगाई को काबू में करेगी। हम केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव न कर पूँजीगत व्यय को फिर से चालू करने (रिवाइव) के कदम की सराहना करते हैं।
फिक्की के मुताबिक एसएलआर में कटौती की तरफ ध्यान आकर्षित हुआ है। एसएलआर में कटौती से लगता है कि आरबीआई निजी क्षेत्र में पूँजी के प्रवाह को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। हालाँकि एसएलआर 23% से घट कर 22.5% होने से ज्यादातर बैंक 26% से 27% तक सरकारी बॉन्ड में निवेश जारी रखेंगे। इस परिदृश्य में आरबीआई के इस कदम के लागू होने पर भविष्य में इसके प्रभाव को देखा जायेगा। (शेयर मंथन, 03 जून 2014)