
केंद्र सरकार ने विदेशी आय और परिसंपत्तियों के संबंध में अघोषित आय के बारे में कठोर कानून बनाने के लिए आज शुक्रवार को संसद में विधेयक पेश कर दिया है।
इस विधेयक में ऐसे विदेशी काले धन के बारे में अलग कराधान का प्रावधान किया गया है। आगे से ऐसी आय पर आयकर अधिनियम के तहत कर नहीं लगाया जायेगा, बल्कि प्रस्तावित नये विधेयक के कठोर प्रावधानों के तहत कर लगेगा। साथ ही प्रस्तावित नये कानून के प्रावधानों के उल्लंघन पर कठोर दंड मिलेगा।
कर की दर : अघोषित विदेशी आय और परिसंपत्तियों पर 30% की समान दर पर कर लगाया जायेगा। वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 के अधीन स्वीकार्य किसी छूट या कटौती या आगे ले जाने वाली हानियों को अलग रखने (सेट-ऑफ) की अनुमति नहीं दी जायेगी।
दंड : प्रस्तावित नये कानून के प्रावधानों के उल्लंघन पर कठोर दंड मिलेगा। भारत से बाहर आय और परिसंपत्ति की जानकारी न देने पर उस संपत्ति पर देय कर का तीन गुना अर्थात अघोषित आय या अघोषित परिसंपत्ति का 90% कर देना होगा। यह कर 30% देय कर से अलग होगा। विदेशी आय या परिसंपत्ति के बारे में रिटर्न जमा न करने पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा। दंड की यही राशि उन मामलों में भी निर्धारित है, जिनमें करदाता ने आय रिटर्न तो दाखिल किया है, लेकिन उसने विदेशी आय या परिसंपत्ति की घोषणा नहीं की है या इसके बारे में गलत विवरण दिया है।
सजा : इस विधेयक में विभिन्न प्रकार के उल्लंघन करने पर सजा बढ़ाने का प्रस्ताव है। इसमें विदेशी आय या भारत से बाहर संपत्ति होने के संबंध में कर प्रवंचना का जान-बूझ कर प्रयास करने के मामले में तीन साल से दस साल तक की कठोर सजा के दंड का प्रावधान है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जायेगा।
विदेशी परिसंपत्तियों, आय और बैंक खातों के संबंध में रिटर्न जमा न करने पर छह महीने से लेकर सात वर्ष तक की कठोर कारावास की सजा दी जायेगी। उन मामलों में भी इतनी ही सजा निर्धारित है, जिनमें करदाता ने आय रिटर्न तो दाखिल किया है, लेकिन विदेशी परिसंपत्ति की घोषणा नहीं की है या इसके बारे में गलत विवरण दिया है।
उपरोक्त प्रावधान ऐसी अवैध विदेशी परिसंपत्तियों से लाभान्वित होने वाले मालिकों या लाभार्थियों पर भी लागू होंगे। ऐसे कृत्य पर छह महीने से लेकर सात वर्ष तक की कठोर कारावास की सजा मिलेगी। यह प्रावधान विदेशी आय या निवासी भारतीयों की परिसंपत्तियों को छिपाने या झूठे दस्तावेजों में मदद करने वाले बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर भी लागू होगा।
भूल या अज्ञानता के कारण छोटी राशि का विदेशी खाता रखने वाले व्यक्तियों की संरक्षा के लिए यह प्रावधान किया गया है कि वर्ष के दौरान कभी भी पाँच लाख रुपये तक की अधिकतम राशि के बैंक खातों की जानकारी न देने पर जुर्माना या सजा नहीं मिलेगी। (शेयर मंथन, 20 मार्च 2015)