
भारत सरकार ने मॉरीशस के साथ अपने तीन दशक पुराने कर समझौते में संशोधन पर हस्ताक्षर किये हैं, जिससे भारत में मॉरीशस के रास्ते आने वाले निवेश पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगाने का अधिकार मिल गया है।
मॉरीशस के साथ भारत ने तीन दशकों से दोहरे कर से छूट की संधि कर रखी है। गौरतलब है कि मॉरीशस के रास्ते भारत में आने वाले निवेश पर यह संदेह जताया जाता रहा है कि भारत में कर से बचने के लिए संधि का दुरुपयोग होता है। मॉरीशस संधि में संशोधन के लिए भारत काफी समय से मॉरीशस से बातचीत करता रहा है। यूपीए शासन में भी इस बारे में काफी चर्चा हुई, मगर अंततः यह संशोधन कराने में मोदी सरकार को सफलता मिली है। मंगलवार को इस संशोधन के समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।
इस संधि में संशोधन की प्रभावी तिथि 1 अप्रैल 2017 होगी, यानी इस तिथि को या इसके बाद खरीदे गये शेयरों पर ही यह टैक्स लागू होगा। संशोधन लागू होने के शुरुआती दो वर्षों में कर की दर भारत में लागू कर की दर से आधी ही रहेगी। पूरी दर से यह कर 2019-20 से लागू होगा।
मॉरीशस के साथ नये समझौते से आज भारतीय शेयर बाजार पर कैसा असर होगा इसको लेकर बेचैनी भरी उत्सुकता दिख रही है। एक तबका मान रहा है कि इससे बाजार में कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं आयेगा, क्योंकि इस संशोधन की प्रभावी तिथि अप्रैल 2017 की होने के चलते मौजूदा निवेश पर इसका कोई असर नहीं होगा। साथ ही यह समझौता मॉरीशस के रास्ते होने वाले निवेश पर अनिश्चितता को समाप्त करता है, जो बाजार के लिए अच्छी बात है।
मगर दूसरी ओर काफी लोग मानते हैं कि जब भी विदेशी निवेश पर कर छूट और पी-नोट्स जैसे मसलों को छेड़ा गया है तो बाजार में बड़ी हलचल हुई है, लिहाजा इस बार भी ऐसा हो सकता है। भारतीय बाजार खुलने से ठीक पहले सिंगापुर निफ्टी डेढ़ फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्शा रहा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि आज बाजार की शुरुआत कमजोर ही रहेगी। मगर विश्लेषकों की नजर इस बात पर रहेगी कि शुरुआती झटके के बाद बाजार का व्यवहार कैसा रहता है और आगे यह सँभलने की कोशिश करता है या कमजोर बना रहता है। (शेयर मंथन, 11 मई 2016)