
भारतीय मौसम विभाग के ताजा अनुमान के अनुसार केरल में मानसून के आगमन में 6 दिन की देरी होने की संभावना है।
मानसून के केरल तट पर पहुँचने की सामान्य तिथि 1 जून है, मगर मौसम विभाग की रिपोर्ट, दक्षिण-पश्चिम मानसून के वहाँ 7 जून (+/- 4 दिनों का एक मॉडल त्रुटि के साथ) को पहुँचने की संभावना दर्शा रही है।
गौरतलब है कि मौसम विभाग ने कुछ दिन पहले सामान्य से अधिक मानसून की भविष्यवाणी की थी। मौसम विभाग ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा था कि मात्रात्मक रूप से मानसून मौसमी वर्षा के लंबी अवधि औसत के (± 5% की मॉडल त्रुटि के साथ) 106% होने की संभावना है।
कृषि क्षेत्र के लिए यह मानसून सकारात्मक रहेगा। लगातार दो साल कमजोर मानसून रहने के बाद औसत से अधिक मानसून की खबर किसानों के लिए राहत भरी है। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था और कृषि विकास दर के लिए भी यह फायदेमंद है। इसके अलावा अधिक महत्वपूर्ण यह है कि अच्छे मानसून से कृषि वस्तुओं की कीमतों को कम करने में भी मदद मिलेगी।
सामान्य से 6% अधिक मानसून से बेहतर बुवाई, विशेषकर खरीफ फसलों को जिनमें जून से बुवाई शुरू हो जायेगी, और उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की संभावनाओं को बल मिलेगा। हालांकि मानसून में 6 दिन की देरी होने के कई नकारात्मक प्रभाव भी इस क्षेत्र पड़ेंगे। देर से मानसून आने पर बुवाई में देरी होगी क्योंकि बुवाई बारिश की पहली बौछार के बाद शुरु की जाती है और इसमें देरी से फसल की कटाई में देरी होगी। देर से बुवाई शुरू होने से बुवाई रकबे में गिरावट आ सकती है।
इसके अलावा असामान्य बारिश फसलों की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन में कमी आ सकती है। कृषि वस्तुओं के क्षेत्र में भारत के एक बड़े उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक होने के नाते यदि लगातार तीसरे वर्ष भारत के उत्पादन में गिरावट आयी तो एक बार कृषि वस्तुओं के दामों में फिर से बढ़ोतरी निश्चित हो जायेगी। साथ ही भारतीय बाजार के लिए दालों के आयात में फिर से वृद्धि हो सकती है।
हालांकि अधिकतर एजेंसियों की सामान्य से अधिक मानसून रहने की भविष्यवाणी के बाद अब कृर्षि क्षेत्र के लिए अधिक चिंता का कोई विषय नहीँ है। अधिक वर्षा के कारण मानसून में देरी से भी कृषि क्षेत्र पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि इसके केरल तट पर पहुँचने और उसके बाद देश के बाकि हिस्से में पहुँचना एग्री कमोडिटी के लिए मध्यम से लंबी अवधि के रुझानों के लिए महत्पूर्ण होगा। छोटी अवधि में कृषि क्षेत्र में कुछ सुधार की उम्मीद की जा सकती है, मगर फिर भी मानसून के आने पर सब कुछ निर्भर रहेगा। (शेयर मंथन, 16 मई 2016)