सुप्रीम कोर्ट के 1 नवंबर 2017 से पेट कोक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के कारण इंडिया रेटिंग और रिसर्च (इंड-रा) ने उत्तर भारत में सीमेंट की कीमतों में वृद्धि की संभावना जतायी है।
पेट कॉक का स्टॉक होने के कारण सीमेंट कंपनियों को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि अदालत ने प्रतिबंध के बाद पेट कॉक के स्टॉक के उपयोग पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। बता दें कि उत्तर भारत में विशेष रूप से राजस्थान (जहाँ अधिकतर सीमेंट संयंत्र मौजूद हैं) में सीमेंट निर्माता कंपनियों को 1 नवंबर से घरेलू या आयातित कोयले का उपयोग करना होगा, जिससे बिजली और ईंधन लागत पर प्रति टन प्रति बैग पर 8 से 10 रुपये का इजाफा होगा। सीमेंट निर्माता कंपनियाँ लागत में बढ़ोतरी को अंतिम उपभोक्ता से वसूल करेंगी, जिससे सीमेंट की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। गौरतलब है कि पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण के 27 अक्टूबर 2017 के स्पष्टीकरण के अनुसार यह प्रतिबंध उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के उन जिलों में ही लागू होगा जो एनसीआर के दायरे में आते हैं; हालाँकि अगर राज्य सरकारें इसी प्रकार की अधिसूचना जारी नहीं कर पाती हैं, तो प्रतिबंध स्वत: पूरे राज्य में लागू होगा और सभी सीमेंट निर्माताओं को प्रभावित करेगा। ऐसे में वे उद्योग जिनमें पेट कॉक और फर्नेस तेल का इस्तेमाल होता है, उन्हें 31 दिसंबर 2017 तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किये गये मानदंडों का पालन करना होगा। (शेयर मंथन, 31 अक्टूबर 2017)