
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर रिटर्न (आईटीआर) जमा करने की समय सीमा 31 अगस्त तक बढ़ा दी है।
यह समय सीमा उन श्रेणियों के करदाताओं के लिए बढ़ायी गयी है, जिन्हें 31 जुलाई तक रिटर्न भरना था। विभिन्न समूहों द्वारा सरकार से गुहार लगाये जाने के बाद 31 जुलाई की समय सीमा से पहले ही सरकार ने करदाताओं को आईटीआर भरने के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय दे दिया। वार्षिक 2.50 लाख रुपये से अधिक आय वालों आईटीआर जमा कराना जरूरी है। हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीडीटी को बिना आधार या आधार नामांकन नंबर के भी ई-फिलिंग रिटर्न स्वीकार करने को कहा था।
गौरतलब है कि सीबीडीटी ने 5 अप्रैल को आकलन वर्ष 2018-19 के लिए नये आयकर रिटर्न फॉर्म अधिसूचित कर दिये थे। जानकारों का मानना है कि नये फॉर्म के कारण ही करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने में देरी हुई। इससे पहले इस आकलन वर्ष के लिए समय सीमा के अंदर आईटीआर न भरने पर सीबीडीटी ने देरी के लिहाज से 1,000, 5,000 और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने की घोषणा भी की थी। यानी शुल्क मुक्त आईटीआर दाखिल करने की आखिरी तिथि 31 अगस्त 2018 है, जबकि इसके बाद करादाताओं को जुर्माना भी देना होगा।
आयकर अधिनियम की धारा 139 (1) के तहत आकलन वर्ष 2018-19 के दौरान रिटर्न दाखिल करने के लिए निर्धारित समय के भीतर आईटीआर दाखिल नहीं करने पर करदाता को अधिनियम की धारा 234 एफ के तहत विलंब शुल्क का भुगतान भी करना पड़ेगा। पाँच लाख रुपये से अधिक आय वाला करदाता यदि 31 अगस्त 2018 के बाद और 31 दिसंबर 2018 के पहले आईटीआर दाखिल करेगा तो उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगेगा। वहीं 31 दिसंबर 2018 तक आईटीआर न भरने जुर्माना बढ़ कर 10,000 रुपये हो जायेगा। मगर यह सीमा 31 मार्च 2019 तक रहेगी और इसके बाद आकलन वर्ष 2018-19 के लिए आईटीआर दाखिल नहीं होगा। अगर किसी करदाता की कुल आय पाँच लाख रुपये से कम है तो उसे 31 अगस्त के बाद सिर्फ 1,000 रुपये बतौर विलंब जुर्माना देना होगा। (शेयर मंथन, 27 जुलाई 2018)