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भारत के भाग्य में लिखा है वर्ल्ड इकोनॉमी का बड़ा पावरहाउस बननाः डॉ मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार तथा आरबीआई के संबंध पति-पत्नी की तरह हैं और विचारों में मतभेद का समाधान इस रूप से होना चाहिए जिससे दोनों संस्थान तालमेल के साथ काम कर सकें।


मनमोहन सिंह ने यह बात ऐसे समय कही है कि जब रिजर्व बैंक के आरक्षित धन के स्तर तथा लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए कर्ज के नियम आसान बनाने समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच मतभेदों की चर्चा के बीच उर्जित पटेल ने आरबीआई के गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक बड़ा पावरहाउस बनना भारत के भाग्य में लिखा है। जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ सिंह ने कहा कि 1991 के बाद से भारत की वार्षिक आर्थिक वृद्धि दर औसतन 7% बनी हुई है। सभी बाधाओं और व्यवधानों के बावजूद भारत सही दिशा में बढ़ता रहेगा। भारत के भाग्य में है कि वह वैश्विक अर्थव्यवस्था का पावर हाउस बने।
'चेंजिंग इंडिया' शीर्षक के साथ प्रकाशित छह खंड की अपनी पुस्तक के विमोचन समारोह में मीडिया से अलग से बातचीत में डॉ मनमोहन ने कहा कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता तथा स्वतंत्रता का सम्मान होना चाहिए। डॉ सिंह आरबीआई के पूर्व गवर्नर भी रहे हैं।
मनमोहन सिंह ने कहा, 'जो भी आरबीआई के गवर्नर हैं, मैं उन्हें शुभकामना देता हूं।' लेकिन हमें एक मजबूत और स्वतंत्र आरबीआई की जरूरत है, जो केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करे।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों द्वारा कृषि ऋण माफी की घोषणा से जुड़े सवाल के जवाब में डॉ सिंह ने कहा, 'हमें चुनावी घोषणा-पत्र में जतायी गई प्रतिबद्धता का सम्मान करना है...।' उन्होंने कहा, 'मैंने प्रभाव के बारे में अध्ययन नहीं किया है, चूंकि प्रतिबद्धता जतायी गई है। इसलिए हमें उसका सम्मान करना है।' (शेयर मंथन, 19 दिसंबर 2018)

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