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जीएसटी सुधार और खाद्य कीमतों में कमी से घटी खुदरा महँगाई : रजनी सिन्हा

केयरएज रेटिंग्स ने खुदरा महँगाई 0.25% के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँचने के दो प्रमुख कारण बताये हैं। इसने कहा है कि हाल के जीएसटी सुधारों और खाद्य कीमतों में आ रही गिरावट के चलते ऐसा संभव हुआ है।

केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, “खुदरा महँगाई (CPI inflation) घटते हुए अक्टूबर में 0.3% पर आ गयी, जो हमारी आशाओं के अनुरूप है। जीएसटी में सुधार और खाद्य एवं पेय पदार्थों की श्रेणी में अपस्फीति या मूल्यों में गिरावट (Deflation) और गहराने के कारण महँगाई दर इस निचले स्तर पर आयी है। खाद्य मूल्यों में अपस्फीति सितंबर के 1.4% से और नीचे जाकर अक्टूबर में 3.7% हो गयी।”
रजनी सिन्हा ने आगे बताया कि “कीमती धातुओं (precious metals) के मूल्यों में पहले से चल रही दो अंकों की बढ़ोतरी इस महीने और तेज हो गयी। इसके चलते केंद्रीय खुदरा महँगाई (core CPI) को अक्टूबर में 4.4% तक पहुँचा दिया। अगर हम कीमती धातुओं को छोड़ दें, तो कोर सीपीआई केवल 2.5% के नरम स्तर पर रही।”

आगे की बात करें तो रजनी सिन्हा का अनुमान है कि खाद्य महँगाई (food inflation) मध्यम स्तरों पर बनी रहेगी। कृषि गतिविधियाँ बेहतर हैं और पिछले वर्ष के मुकाबले आधार प्रभाव (Base Effect) भी सकारात्मक है। साथ ही, पर्याप्त जलाशय स्तर (Reservoir level) और मजबूत खरीफ बुवाई से खाद्य कीमतों में स्थिरता रहने की उम्मीद है।

हालाँकि रजनी सिन्हा ने कुछ जोखिमों का भी जिक्र किया है, जैसे मानसून की देर से वापसी और कुछ इलाकों में भारी बारिश से फसलों को नुकसान हुआ है। इसके अलावा, खाद्य तेलों में दो अंकों की महँगाई दर भी चिंता का विषय है, खास कर तब जब वनस्पति तेलों की वैश्विक कीमतें ऊँची बनी हुई हैं।

विदेशी कारकों को देखें तो वैश्विक वृद्धि कमजोर रहने की संभावनाओं, चीन में अतिरिक्त उत्पादन क्षमता और ओपेक (OPEC) की ओर से कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी के कारण अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतें नरम रहने की आशाएँ हैं। सितंबर के अंत में जीएसटी दरों में किए गए सुधार का सकारात्मक असर अक्टूबर की महंगाई दर में साफ दिखाई दिया। आने वाले समय में, हम उम्मीद कर रहे हैं कि तीसरी तिमाही (Q3 FY26) में औसत महंगाई लगभग 0.9% पर रहेगी, जबकि चौथी तिमाही (Q4 FY26) में यह बढ़कर करीब 3.1% तक जा सकती है। पूरे वित्त वर्ष 2025-26 के लिए औसत महंगाई के 2.1% के आसपास रहने की संभावना है।

मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण से देखें तो घटती महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को आर्थिक वृद्धि पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का अवसर दे सकती है। बाहरी चुनौतियों और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं से जुड़ी अनिश्चितताओं के बीच, अगर वित्त वर्ष की दूसरी छमाही (H2 FY26) में आर्थिक वृद्धि कमजोर होती है, तो हाल की महंगाई दरें आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करने की गुंजाइश दे सकती हैं।

 

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