शेयर मंथन में खोजें

अमेरिका में दवा कीमतें घटाने की घोषणा से फार्मा सेक्टर में हलचल, क्या शेयर क्रैश होंगे?

भारत की फार्मा कंपनियों को लेकर हाल के दिनों में कुछ निवेशकों के मन में चिंता देखी जा रही है। आइए, बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार से जानते हैं कि शेयरों में आगे क्या होने की संभावना है?

बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार इस सवाल के जवाब में कहते हैं कि यह आशंका जतायी जा रही है कि फार्मा सेक्टर में तेज गिरावट आ सकती है। इस डर की वजह अमेरिका से आयी खबरें हैं, जहाँ पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दवाओं की कीमतों को कम करने से जुड़ी एक नयी डील की चर्चा हो रही है। खबरों के मुताबिक अमेरिका की बड़ी फार्मा कंपनियों के साथ दवाओं की कीमतें घटाने को लेकर सहमति बनी है, जिससे वहाँ के बाजार में हलचल है। हालाँकि इस पूरे घटनाक्रम को भारत की फार्मा कंपनियों के नजरिये से देखा जाए तो घबराने की बहुत बड़ी वजह नहीं दिखती। भारत का फार्मा बिजनेस, खासकर अमेरिका में, मुख्य रूप से जेनेरिक दवाओं पर आधारित है। भारतीय जेनेरिक दवाएँ पहले से ही बेहद किफायती कीमतों पर मौजूद हैं और उनकी कीमतों की प्रतिस्पर्धा अमेरिकी कंपनियाँ आसानी से नहीं कर सकतीं। ऐसे में अमेरिकी बाजार में कीमतों में कटौती की पहल का सीधा और बड़ा नकारात्मक असर भारतीय कंपनियों पर पड़ना मुश्किल लगता है।

फार्मा सेक्टर में भावनात्मक दबाव संभव!

इसके अलावा, जेनेरिक दवाओं के मामले में भारत की कंपनियों का कोई तुरंत विकल्प खड़ा करना भी आसान नहीं है। सप्लाई चेन, मैन्युफैक्चरिंग स्केल, रेगुलेटरी अप्रूवल और लागत। इन सभी मोर्चों पर भारतीय कंपनियाँ मजबूत स्थिति में हैं। इसलिए यह मानना कि अचानक भारतीय जेनेरिक दवाओं को हटा दिया जाएगा, व्यावहारिक नहीं है। फार्मा क्षेत्र अपने-आप में एक बहुत बड़ा और विविध सेक्टर है। इसमें केवल फॉर्मूलेशन ही नहीं, बल्कि एपीआई, सीडीएमओ, हेल्थकेयर सर्विसेज और डायग्नोस्टिक्स जैसे अलग-अलग बिजनेस मॉडल शामिल हैं। इसलिए अगर किसी एक हिस्से पर थोड़ा-बहुत दबाव भी आता है, तो पूरे फार्मा और हेल्थकेयर सेक्टर में एक साथ नकारात्मकता रुझान आना जरूरी नहीं है।


(शेयर मंथन, 26 दिसंबर 2025)

(आप किसी भी शेयर, म्यूचुअल फंड, कमोडिटी आदि के बारे में जानकारों की सलाह पाना चाहते हैं, तो सवाल भेजने का तरीका बहुत आसान है! बस, हमारे व्हाट्सऐप्प नंबर +911147529834 पर अपने नाम और शहर के नाम के साथ अपना सवाल भेज दें।)

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन पत्रिका

देश मंथन के आलेख