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नए साल में बाजार का असली रोडमैप क्या है 2026 बाजार के लिए क्यों अहम माने जा रहे हैं?

नए साल की चर्चा ऐसे वक्त पर की जा रही है जब मौजूदा साल लगभग पूरा हो चुका है और बाजार ने बीते पूरे हफ्ते में कोई खास हलचल नहीं दिखाई।

बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार कहते हैं कि निफ्टी और बैंक निफ्टी दोनों ही सीमित दायरे में रहे और साफ महसूस हुआ कि 31 दिसंबर तक बाजार को कोई नया बड़ा ट्रिगर मिलने की संभावना कम है। ऐसे शांत माहौल में साल की समीक्षा करना और आगे की तस्वीर पर बात करना स्वाभाविक है। इसी सोच के साथ यह चर्चा सिर्फ अगले साल तक सीमित नहीं रखी गई, बल्कि 2026, 2027 और 2028 तक का एक विस्तृत रोडमैप सामने रखा गया, ताकि निवेशक लंबी अवधि की दिशा को समझ सकें। 

इस पूरे नजरिए के पीछे एक अहम वजह यह भी है कि अगले आम चुनाव से पहले निफ्टी को लेकर 37,000 के स्तर का एक दीर्घकालिक अनुमान पहले ही रखा जा चुका है। यही कारण है कि 2028 तक का रोडमैप तैयार किया गया है। अभी तक के कैलेंडर ईयर की बात करें तो निफ्टी ने लगभग 10% का रिटर्न दिया है। सेक्टरल स्तर पर मेटल, ऑटो, बैंकिंग, कमोडिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर ने निफ्टी से बेहतर प्रदर्शन किया, जिसमें मेटल सेक्टर सबसे आगे रहा। वहीं मीडिया सेक्टर सबसे कमजोर रहा, लेकिन यह भी साफ किया गया कि मीडिया की कहानी यहीं खत्म नहीं होती और आने वाले समय में इसमें बदलाव देखने को मिल सकता है। 

इस साल की सबसे बड़ी थीम लिक्विडिटी क्रिएशन रही है। आरबीआई की ओर से बॉन्ड बाइंग, अमेरिका में ट्रेजरी बॉन्ड बाइंग, इनकम टैक्स रिलीफ, इंटरेस्ट रेट कट और आगे चलकर जीएसटी 2.0 जैसे कदम इसी दिशा में उठाए गए हैं। गोल्ड और सिल्वर ने सभी एसेट क्लास को पीछे छोड़ते हुए शानदार प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही सॉफ्टर यील्ड, सॉफ्टर ऑयल और काबू में रहती महंगाई ने पॉलिसी मेकर्स और सेंट्रल बैंकों को आगे की रणनीति बनाने में मजबूती दी है। हालांकि सकारात्मक पहलुओं के साथ कुछ बड़े नेगेटिव फैक्टर भी सामने रहे। टैरिफ वॉर ने वैश्विक माहौल को अनिश्चित बनाया। पिछले चार से पांच तिमाहियों में कॉरपोरेट प्रॉफिट ग्रोथ सिर्फ 2 से 4%के बीच रही, जिससे बाजार को अपेक्षित अपसाइड नहीं मिल पाया। इसी कारण मिडकैप ने लार्जकैप को अंडरपरफॉर्म किया और स्मॉलकैप ने साल में नेगेटिव रिटर्न दिया। लगातार एफआईआई आउटफ्लो और रुपये की कमजोरी भी बाजार के लिए बड़ी चुनौतियां बनी रहीं।

क्रेडिट ग्रोथ को भी इस पूरे चक्र का अहम हिस्सा बताया गया। भारत की अर्थव्यवस्था कंजम्प्शन आधारित है और जब क्रेडिट एक्सपेंशन होता है, तब कंजम्प्शन को सबसे ज्यादा बल मिलता है। बेहतर आर्थिक भविष्य की उम्मीद, अफोर्डेबल इंटरेस्ट रेट और स्थिर माहौल क्रेडिट ग्रोथ को गति देते हैं। अगर क्रेडिट ग्रोथ मजबूत होती है तो बीएफएसआई सेक्टर को सीधा फायदा मिलेगा और उसी के साथ कंजम्प्शन भी तेजी पकड़ेगा। 

अगर कंजम्प्शन में सुधार आता है तो 2026 की दूसरी छमाही में इसके असर साफ दिखने की उम्मीद है। लो इंटरेस्ट रेट और बेहतर डिमांड का माहौल प्राइवेट कैपेक्स को भी प्रोत्साहित कर सकता है। अनुमान है कि सितंबर 2026 के बाद प्राइवेट कैपेक्स को लेकर ठोस आकलन और गतिविधि शुरू हो सकती है। इन्हीं सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए यह अनुमान रखा गया कि 2026 में प्रवेश करते ही शेयर बाजार में नई रैली शुरू हो सकती है।

इस रैली के तहत निफ्टी के लिए पहला बड़ा लक्ष्य कैलेंडर ईयर 2026 या मार्च 2027 तक 28,000 से 30,000 के बीच माना गया है। हालांकि यह भी साफ किया गया कि लिक्विडिटी और कंजम्प्शन का असर एक ही साल में खत्म नहीं होता। यह प्रभाव 2027 और 2028 तक बाजार को सपोर्ट दे सकता है। इसी वजह से यह पूरा रोडमैप 2028 तक का रखा गया है, जिसमें उतार-चढ़ाव जरूर होंगे, लेकिन लंबी अवधि में बाजार की दिशा सकारात्मक बनी रहने की उम्मीद जताई गई है।

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(शेयर मंथन, 29 दिसंबर 2025)

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