शेयर बाजार में विदेश पोर्टफोलियो निवेश या एफपीआई (FPI) वित्त वर्ष 2017-18 में 50% से अधिक घट कर 26,000 करोड़ रुपये रह गया।
इसके मुकाबले वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान शेयर बाजार में एफपीआई द्वारा 55,700 करोड़ रुपये लगाये गये थे। विदेशी निवेशकों की भारतीय शेयर बाजार में घटी रूचि के दो मुख्य कारण रहे, जिनमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अपेक्षाकृत तेजी से ब्याज दरें बढ़ाने की आशंका औऱ भारतीय इक्विटीज का उच्च मूल्यांकन शामिल है।
हालाँकि ऋण बाजार (Debt Market) में विदेशी निवेश में जबरदस्त बढ़त हुई है। वित्त वर्ष 2016-17 में 7,300 करोड़ रुपये के मुकाबले पिछले कारोबारी साल में विदेश निवेशकों ने भारतीय ऋण बाजार में 1.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं कुल मिला कर 2017-18 में भारतीय बाजार में 1.45 लाख करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया, जो पिछले 3 सालों में सर्वाधिक है। जानकारों का मानना है कि 2018-19 के दौरान भारत में आगामी आम चुनावों, अमेरिका में दर वृद्धि और वैश्विक व्यापार तनाव के बीच इक्विटी और ऋण निवेश में अस्थिरता दिखायी देगी। (शेयर मंथन, 02 अप्रैल 2018)
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