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कितनी गिरावटर पर किसी शेयर को खरीदने का सही समय होता है?

राजीव सेठी जी का सवाल शेयर बाजार में बाय ऑन डिप्स यानी गिरावट पर कैसे खरीदारी करें? आइए, बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार से जानते हैं कि गिरावट पर कब खरीदारी करनी चाहिए?

बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार इस सवाल के जवाब में कहते हैं कि गिरावट पर शेयर खरीदना चाहिये, लेकिन असली सवाल यह होता है कि आखिर कितनी गिरावट को “डिप” माना जाये। क्या 5% काफी है, 10% सही है या 20% तक इंतजार करना चाहिए? इसी उलझन की वजह से कई बार निवेशक या तो जल्दी खरीद लेते हैं या फिर मौके चूक जाते हैं। असल में बाय ऑन डिप्स को केवल प्रतिशत के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिये। शेयर का टेक्निकल स्ट्रक्चर, उसका ट्रेंड, सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल, ये सभी चीजें ज्यादा अहम होती हैं। जब कोई शेयर लंबे समय तक कंसोलिडेशन के बाद किसी मजबूत रेजिस्टेंस को तोड़ता है, तो उसे ब्रेकआउट कहा जाता है। ऐसे में कुछ ट्रेडर्स तुरंत ब्रेकआउट पर खरीद लेते हैं, जबकि कुछ लोग यह देखने के लिए रुकते हैं कि कहीं यह फॉल्स ब्रेकआउट तो नहीं है। जो लोग कन्फर्मेशन चाहते हैं, वे अक्सर गिरावट यानी थ्रोबैक का इंतजार करते हैं। 

कितनी गिरावट को कहें डिप?

यहाँ सबसे अहम भूमिका रिस्क-रिवार्ड रेशियो की होती है। मान लीजिए कोई शेयर ब्रेकआउट के बाद महँगा लग रहा है और आप गिरावट का इंतजार कर रहे हैं। अगर संभावित डिप 20% तक का है और नीचे सपोर्ट बहुत दूर है, तो सवाल यह बनता है कि क्या ऊपर की तरफ 40-50% का रिटर्न दिख रहा है? अगर नहीं, तो ऐसी खरीदारी का रिस्क जायज नहीं ठहरता। इसी वजह से कई बार 8-10% की करेक्शन पर खरीदना बेहतर माना जाता है, क्योंकि वहाँ स्टॉप लॉस छोटा होता है और लक्ष्य बड़ा।

“बाय ऑन डिप्स” का मतलब यह नहीं है कि शेयर गिरता ही जाये और आप लगातार खरीदते जाएं। यह रणनीति तभी काम करती है जब ट्रेंड मजबूत हो, सपोर्ट साफ तौर पर डिफाइंड हो और आगे का लक्ष्य अभी बाकी हो। इसलिए यह देखना ज्यादा जरूरी है कि शेयर सपोर्ट से कितना पास है और टारगेट कितना दूर है, बजाय इसके कि वह अपने हाई से कितना गिर चुका है।


(शेयर मंथन, 26 दिसंबर 2025)

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