जायडस लाइफसाइंसेज ने डेनमार्क की कंपनी से दवा की बिक्री का अधिकार हासिल किया है। कंपनी ने दवा की बिक्री का यह अधिकार भारत और नेपाल दो देशों के लिए हासिल किया है।
कंपनी ने मोनोफेरिक (आयरन आइसोमाल्टोसाइड) दवा की बिक्री का अधिकार हासिल किया है। इस दवा का इस्तेमाल व्यस्कों में आयरन की कमी दूर करने के लिए किया जाता है। कंपनी ने डेनमार्क की कंपनी फार्माकॉस्मोस से किया है। यह व्यस्क मरीजों को वैसी स्थिति में दिया जाता है जह ओरल आयरन बेअसर हो जाता है। साथ ही जब मरीज को तेजी से आयरन देने की जरूरत होती है। एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कंपनी ने डील से संबंधित कोई दूसरी जानकारी नहीं दी गई है। आयरन की कमी हेल्थकेयर के लिए बहुत ही बड़ी चुनौती है। इससे जीवन की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। सीकेडी (क्रोनिक किडनी डिजिज ) के मामले में आयरन की कमी का बड़ा असर देखने को मिलता है। कंपनी के प्रबंध निदेशक डॉ शर्विल पटेल ने कहा कि क्रोनिक किडनी डिजिज से ग्रसित लोगों तक इस दवा की पहुंच बढ़ेगी। क्रिटिकल थेरैपी से मरीजों के जीवन में सुधार देखने को मिलता है। मोनोफोरिकआयरन आइसोमाल्टोसाइड) इंजेक्शन के लिए 1000 सॉल्यूशंस का काम करती है। यह दवा बहुत तेजी से काम करती है। इससे आयरन की कमी के कारण होने वाले इंफ्यूजन की संख्या में कमी आती है। इसके इस्तेमाल से शरीर में खून की मात्रा को नियंत्रण करने में मददगार साबित होगा। आपको बता दूं कि रैपिड सिंगल डोज में उपलब्ध है जो 1 किलोग्राम में 20 मिलीग्राम की क्षमता है। मोनोफेरिक दवा 30 देशों में उपलब्ध है। यह दवा यूरोप और अमेरिका में भी उपलब्ध है। दवा के बाजार में आने से अब तक 2.8 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं।
(शेयर मंथन 09 सितंबर, 2022)
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