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कॉटन और चने में हो सकती है गिरावट - एसएमसी 

कॉटन वायदा (अक्टूबर) कीमतों में 22,500 रुपये तक गिरावट हो सकती है।
मिलों और निर्यातकों की ओर से कम माँग के कारण दक्षिण और मध्य भारत के प्रमुख बाजारों में कपास की कीमतों में नरमी का रुझान है। अमेरिकी बाजार में कपास की कीमतों में तेज गिरावट के बाद मिलों और निर्यातकों द्वारा इंतजार किया जा रहा है। कपास की नयी फसल की बढ़ती आवक के कारण भी बाजार के सेंटीमेंट पर दबाव पड़ रहा है। 1 अक्टूबर से अब तक कपास की नयी फसल की कुल आवक 1.62 मिलियन बेल हुई है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 1.33 मिलियन बेल की तुलना में 22.03% अधिक है। कपास की मौजूदा कीमतें मिलों के लिए काफी अधिक है, इसलिए मिलें बड़ी खरीदारी करने को तत्पर नही हैं।
ग्वारसीड वायदा (नवंबर) की कीमतों में 4,700 रुपये के स्तर पर सहारा के साथ बढ़त दर्ज किये जाने की संभावना है। पिछले वर्ष की तुलना में कम उत्पादन अनुमान के कारण कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद से स्टॉकिस्टों द्वारा अच्छी क्वालिटी की खरीदारी के कारण कीमतों को मदद मिल सकती है। खराब मौसम के कारण उत्पादन में लगातार दूसरे वर्ष कमी के कारण 2018-19 सीजन में ग्वारसीड का स्टॉक कई वर्षो के निचले स्तर पर पहुँच गया है। 
चना वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 3,950-3,900 रुपये तक गिरावट हो सकती है। चना दाल और बेसन की सीमित बिक्री के कारण मिलों की ओर से कम खरीदारी होने से हाजिर बाजारों में नरमी का सेंटीमेंट है। इसके अतिरिक्त नाफेड मौजूदा कीमतों पर अपना स्टॉक बेच रहा है, इस कारण मिलें खरीदारी को लेकर सतर्क हैं। नाफेड के पास पर्याप्त उपलब्धता को देखते हुए मिले स्टॉक जमा करने के लिए खरीदारी नही कर रही हैं। (शेयर मंथन, 26 अक्टूबर 2018)

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