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सोयाबीन की कीमतों में नरमी के कारण 1% की गिरावट - एसएमसी

विदेशी बाजारों और हाजिर बाजारों में नरमी के रुझान के कारण सोयाबीन वायदा (जनवरी) की कीमतें कल 1% की गिरावट के साथ बंद हुई।

20 दिसम्बर को सेबी द्वारा एनसीडीईएक्स को इंट्राडे में नये पोजिशन की अनुमति नहीं देने और कमोडिटीज के नये कॉन्टैंक्ट शुरू करने पर एक साल के लिए रोक दिया गया। सोयाबीन में केवल मौजूदा पोजिशन को पूरा करने की अनुमति होगी। चालू रबी बुवाई के मौसम में गेहूँ, दलहन और मोटे पोषक अनाज का रकबा अभी कम है, लेकिन तिलहन का रकबा पिछले साल की तुलना में लगभग 22% बढ़ा है। सोपा के अनुसार, अक्टूबर-नवंबर के दौरान सोयाबीन की आवक पिछले साल के 37 लाख टन की तुलना में 29 लाख टन रही है जबकि समान अवधि में सोयामील निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 38% घटकर 10.4 लाख टन रह गयी है। यूएसडीए की नवंबर की मासिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सोयाबीन का उत्पादन माह-दर-माह 8% बढ़कर 11.9 मिलियन टन हुआ है, जो दिसंबर में अपरिवर्तित है। खाद्य तेल की कीमतें भी गिरावट के साथ बंद हुईं। दो हफ्ते के उच्च स्तर से मुनाफावसूली के कारण मलेशियाई पॉम तेल वायदा की कीमतों में कल गिरावट हुई है।

डालियान में सोया तेल और पॉम तेल की कीमतों में 0.75%-0.93% की गिरावट हुई। अमेरिकी सोयाबीन तेल की कीमतों में 0.44% की गिरावट हुई है। एक्सचेंज के सर्कुलर के अनुसार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए नए पोजिशन की अनुमति नहीं दी है। सरकार ने दिसंबर 2022 तक एक अन्य साल के लिए बिना लाइसेंस के रिफाइंड पॉम तेल आयात करने की अनुमति दी जिसका उद्देश्य घरेलू आपूर्ति बढ़ाना और खाद्य तेलों की कीमतों में कमी लाना है। सरकार ने रिफाइंड पॉम तेल पर मूल सीमा शुल्क को 17.5 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया है। (शेयर मंथन, 30 दिसंबर 2021)

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