सोने और चांदी की मौजूदा तेजी ने निवेशकों के बीच जबरदस्त उत्साह पैदा कर दिया है, खासकर चांदी को लेकर। हाल ही में चांदी ने 2 लाख रुपये प्रति किलो का स्तर पार किया और उसके बाद तेजी से 2.40 लाख रुपये के आसपास पहुंच गयी।
बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार इस सवाल के जवाब में कहते हैं कि चार्ट्स और मोमेंटम यह संकेत जरूर दे रहे हैं कि शॉर्ट टर्म में अभी तेजी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है और जनवरी में 2.50 लाख रुपये का आंकड़ा दिख सकता है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि चांदी अब एक बड़े रिस्क ज़ोन में प्रवेश कर चुकी है। डॉलर टर्म्स में देखें तो चांदी का पहला बड़ा एक्सपेंशन जोन 80-85 डॉलर के आसपास माना जा रहा है। इस स्तर तक पहुंचने के बाद करीब 50-60% का रन पहले ही पूरा हो चुका होगा।
यहाँ से आगे बढ़त संभव है, लेकिन रिस्क भी उसी अनुपात में बढ़ता जाएगा। यही वजह है कि 2026 को लेकर यह आशंका जताई जा रही है कि चांदी में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। मांग की कहानी, जैसे इंडस्ट्रियल यूज़, ग्रीन एनर्जी और सप्लाई की कमी, अब भी मजबूत है, लेकिन हर एसेट क्लास की एक डिफाइंड वैल्यू होती है। कीमतें जब बहुत आगे निकल जाती हैं, तो वोलेटिलिटी आना तय हो जाता है।
फिलहाल चांदी में फोमो (FOMO) साफ नजर आ रहा है। जो निवेशक डिप पर खरीदने की रणनीति अपनाते हैं, उन्हें इस रैली में वह मौका अभी तक नहीं मिला है। 140 से 240 तक का सफर लगभग बिना किसी बड़े करेक्शन के तय हुआ है। ऐसे में नए निवेशकों के लिए इस स्तर पर आक्रामक खरीदारी करना समझदारी नहीं मानी जा रही, भले ही शॉर्ट टर्म में कुछ प्रतिशत की और तेजी दिखाई दे।अब अगर सोने की बात करें, तो गोल्ड भी अपने ऑल-टाइम हाई के करीब ट्रेड कर रहा है।
डॉलर में सोना 4500 डॉलर के ऊपर पहुंच चुका है और साइकिल टारगेट 4500 से 5000 डॉलर के बीच का माना जा रहा है। यानी यहां से अधिकतम 10% का अपसाइड अभी बचा हो सकता है। हालांकि अपसाइड पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, लेकिन इस स्तर से रिस्क काफी बढ़ जाता है। 4700-5000 डॉलर की रेंज में पहुंचने के बाद सोने में भी तेज वोलेटिलिटी देखने को मिल सकती है।
अगर किसी निवेशक को मजबूरी में सोना या चांदी में निवेश करना ही है, तो सवाल उठता है कि किस पर ज्यादा दांव लगाया जाए। इसका जवाब सीधा है- एसेट एलोकेशन। आम तौर पर गोल्ड और सिल्वर को मिलाकर पोर्टफोलियो में 5-8% का एलोकेशन पर्याप्त माना जाता है। हालिया रैली के बाद कई निवेशकों का यह एलोकेशन अपने आप बढ़कर 10% या उससे भी ज्यादा हो चुका है। ऐसे में 10% से ऊपर जाना जोखिम भरा हो सकता है, खासकर जब बाकी एसेट क्लास, जैसे इक्विटी, अभी दबाव में दिख रही हों।
एक अहम बहस यह भी है कि क्या घर में रखा फिजिकल गोल्ड, जैसे ज्वेलरी—इन्वेस्टमेंट माना जाए या नहीं। यह तर्क दिया जाता है कि ज्वेलरी कभी बेची नहीं जाती, इसलिए उसे एसेट एलोकेशन में शामिल नहीं करना चाहिए। लेकिन वास्तविकता यह है कि ज्वेलरी भी पैसे देकर खरीदी जाती है। अगर वह पैसा सोने में नहीं गया होता, तो किसी और फाइनेंशियल एसेट में जाता। इसके अलावा, ज्वेलरी का एक्सचेंज, री-डिजाइन या बिक्री भी होती है। इसलिए इसे इन्वेस्टमेंट न मानना व्यावहारिक नहीं लगता, सिवाय उन मामलों के जहां सोना गिफ्ट में मिला हो।
(शेयर मंथन, 30 दिसंबर 2025)
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