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अभी बाजार में ऊपरी स्तरों का मतलब है ज्यादा जोखिम

राजीव रंजन झा : शुक्रवार की शाम और सोमवार की सुबह के बीच में बाजार का मिजाज बदलने वाली कौन-सी बात हो गयी, यह समझना मेरे लिए जरा मुश्किल हो रहा है।
अगर शुक्रवार की शाम को 2013-14 की पहली तिमाही में विकास दर यानी जीडीपी बढ़ने की दर घट कर केवल 4.4% रहने का आँकड़ा सामने आने के बाद आप बाजार के किसी भी जानकार से पूछते तो यही जवाब मिलता कि सोमवार को बाजार कुछ गिरावट के साथ खुलेगा। लेकिन आज सुबह हुआ बिल्कुल उल्टा। बाजार ने मजबूत शुरुआत की और यह मजबूती शुरुआती कारोबार में एकदम टिकी हुई है। सेंसेक्स और निफ्टी पौने एक से एक फीसदी तक की बढ़त के साथ चल रहे हैं। तो क्या बाजार ने जीडीपी के कमजोर आँकड़ों को एकदम नजरअंदाज कर दिया?
जब बाजार किसी घटना पर अपनी स्वाभाविक प्रतिक्रिया नहीं देता तो इसके कई मतलब हो सकते हैं। एक रटा-रटाया जवाब अक्सर पेश किया जाता है कि शायद वह बात पहले से ही बाजार के भावों में शामिल थी। लेकिन वास्तविकता यह है कि 4.4% विकास दर का आँकड़ा बाजार के औसत अनुमानों से कमजोर ही था। अगर यह आँकड़ा 4.6% या 4.7% होता तो मैं इस तर्क को ज्यादा सहजता से स्वीकार कर पाता। ऐसा भी नहीं था कि शुक्रवार को पहले से ही बाजार काफी गिर चुका था। शुक्रवार को यह आखिरी घंटे की लंबी छलांग के बाद मजबूत ही बंद हुआ था।
तो क्या बाजार इन स्तरों पर कुछ छका रहा है? आज सुबह की इस हरियाली पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। शुक्रवार 30 अगस्त की सुबह मैंने लिखा था कि "मोटे तौर पर 5530 के ऊपर जाने पर कहानी कुछ बदलती हुई लगेगी। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक यह मानने के ज्यादा कारण नहीं हैं कि बाजार की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव आ गया है।"
आज सुबह के कारोबार में निफ्टी 5530 के ठीक नीचे ही अटकता दिख रहा है। अगर निफ्टी इस बाधा को पार करे तो कुछ समय के लिए तकनीकी परिस्थितियाँ बदल सकती हैं। मैंने लिखा था कि 5529 पार करके इसके ऊपर टिकने पर पिछले कुछ हफ्तों से निचले शिखर और निचली तलहटी बनने का सिलसिला टूटेगा।
लेकिन इसी पहलू को देख कर शायद बाजार में कुछ लोग फँस सकते हैं। अभी 5600-5630 या ज्यादा-से-ज्यादा 5750 के ऊपर जाने लायक स्थिति नहीं लग रही। यह कहना मुश्किल है कि बाजार इन्हीं स्तरों से वापस नीचे की दिशा पकड़ेगा या 5600-5630 से 5700-5750 के आसपास से। लेकिन यह कहने में मुझे ज्यादा संकोच नहीं होगा कि यह इस क्रम में जितना आगे जायेगा, बाजार के लिए जोखिम उतना बढ़ता जायेगा। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 02 सितंबर 2013)

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