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बाजार में दीवाली, पर जश्न मनाने वाले गायब

राजीव रंजन झा : अपना शेयर बाजार कल एक और कदम आगे बढ़ा, जिससे यह एक नये ऐतिहासिक मुकाम पर आ गया।
अभी सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) अपने रिकॉर्ड ऊपरी स्तरों से एक कदम पीछे हैं, लेकिन कल सेंसेक्स अपने बंद भाव के लिहाज से जरूर अब तक के सबसे ऊपरी स्तर पर चला गया। बाजार खुले रहने के दौरान जो उतार-चढ़ाव होता रहता है, उसके बीच बने ऊपरी स्तर के लिहाज से सेंसेक्स का अब तक का ऐतिहासिक शिखर 21,207 पर है जो 10 जनवरी 2008 को बना था। लेकिन दिन भर की उठापटक के बाद बाजार बंद होने पर जो भाव आता है, उसके लिहाज से सेंसेक्स ने 8 जनवरी 2008 को ही अपना रिकॉर्ड ऊपरी बंद स्तर 20,873 पर बनाया था। इसके बाद 5 नवंबर 2010 को सेंसेक्स 21,005 पर नये ऊपरी स्तर पर बंद होने में सफल रहा था। कल यह 21,034 पर बंद हुआ, एक नये रिकॉर्ड पर।
इस लिहाज से यह निश्चित रूप से बाजार में जश्न का मौका है। तमाम सुर्खियाँ बता रही हैं कि भारतीय शेयर बाजार ने इस बार असली दीवाली से कुछ दिनों पहले ही दीवाली मना ली है। लेकिन जश्न मनाने वालों की भीड़ कहाँ है? आप किसी भी ब्रोकर से पूछें तो सुनने को मिलेगा कि इस बाजार में आम निवेशक है ही नहीं, लगभग गायब है।
तो फिर बाजार की यह दीवाली किसकी है? क्या लगातार जम कर खरीदारी कर रहे विदेशी संस्थागत निवेशकों की? क्या इन ऊपरी भावों पर लगातार शेयरों को बेच कर पैसे जेब में डालते (या फिर अपने निवेशकों को वापस लौटाते) म्यूचुअल फंडों और अन्य घरेलू वित्तीय संस्थाओं की दीवाली है यह? या इसे हम बाजार के अल्पसंख्यक, लेकिन मोटी जेब वाले बड़े व्यक्तिगत निवेशकों की दीवाली मानें? इनमें से चाहे किसी की भी दीवाली हो, मगर यह आपके लिए शायद बड़े उत्साह का मौका न हो।
लेकिन यह आपके लिए खतरे का मौका जरूर हो सकता है। जब बाजार किसी नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचता है तो आकर्षक सुर्खियाँ बनती हैं। ये सुर्खियाँ बाजार के जश्न में पीछे रह जाने का भाव पैदा करती हैं। मन में आता है कि अरे, बाकी सब लोग तो फायदा कमा रहे हैं और शायद मैं ही बचा रह गया। फिर आप उस ट्रेन को पकड़ने के लिए दौड़ते हैं, जो काफी पहले ही प्लेटफॉर्म से आगे निकल चुकी है।
जरा थमिए, ऐसी ट्रेन को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाना खतरनाक है। बस स्टॉप से आगे बढ़ चुकी बस में कूदने की कोशिश जोखिम भरी है। आपने बहुत इंतजार किया, बहुत सारे मौके गँवाये। अगर अभी-अभी कुछ समय पहले एक मौका था भी तो अब जाने दीजिए। आपको फिर अच्छे मौके मिलेंगे और राग बाजार उन मौकों की पहचान करने में मदद करने के लिए आपके सामने उपलब्ध रहेगा।
अब जरा रोज-रोज के उतार-चढ़ाव की बात। कल के अंक में मैंने निफ्टी के लिए लिखा था, “अगर इस बार यह 6252 को पार करता है, तो 6357 के रिकॉर्ड तक जाना बहुत स्वाभाविक माना जा सकता है।” कल इसने सोमवार की बड़े आकार की तेज कैंडल के ऊपरी स्तर 6228 को पार करते हुए ऊपरी शिखर और ऊपरी तलहटी बनायी, जो सकारात्मक संकेत है। कल निफ्टी 6269 के ऊपरी स्तर तक चढ़ा, यानी 6252 को पार कर गया जो पिछले हफ्ते गुरुवार 24 अक्टूबर का ऊपरी स्तर था। यह भी इसका सकारात्मक पहलू है।
लेकिन कल निफ्टी के उतार-चढ़ाव का दायरा तुलनात्मक रूप से काफी छोटा था। दिन भर यह 6223 से 6269 के बीच यानी केवल 46 अंक के दायरे में सिमटा रहा। अगर आज यह कल के निचले स्तर 6223 से नीचे जाने लगा तो मुनाफावसूली का दबाव बनने की चिंता पैदा होगी। सोमवार की तेज उछाल के बाद कल का कारोबार एक तरह से थकान का दिन बन गया। अब देखना है कि इस थकान से उबर कर बाजार आगे बढ़ता है, या अभी सुस्ताने का विकल्प चुनता है।
केवल आज के एकदिनी कारोबार के लिहाज से ऐसा लगता है कि 6235 के नीचे जाने पर निफ्टी 6200 और फिर 6180 की ओर फिसल सकता है। इसके लिए 6175 के नीचे जाने पर चिंता बढ़ेगी, लेकिन जब तक यह 6150 के ऊपर रहे, तब तक यह गुंजाइश बाकी रहेगी कि अगली छलाँग में यह ऐतिहासिक शिखर 6357 को छूने की ओर बढ़ चले। वहीं ऊपर की ओर 6269 से आगे निकल चलने की हालत में 6357 का पिछला रिकॉर्ड बस एक कदम की दूरी पर होगा, इसलिए कयास की ज्यादा गुंजाइश नहीं बचती है। Rajeev Ranjan Jha 
(शेयर मंथन, 31 अक्टूबर 2013)

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