भारतीय शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड उद्योग इस समय कई तरह की चुनौतियों और अवसरों से गुजर रहा है। राजनीतिक स्थिति, वैश्विक अस्थिरता और तेल की कीमतों जैसे कारक निवेश प्रवाह को प्रभावित कर रहे हैं। पिछले कुछ समय में बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है, लेकिन लंबी अवधि के नजरिए से भारत की ताकत और संभावनाएं स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। जानें टैरिफ की चिंताओं के बीच निवेश रणनीति बैंक ऑफ इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ मोहित भाटिया के साथ.
बैंक ऑफ इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ मोहित भाटिया का कहना है कि आने वाले दो दशकों में भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था, भू-राजनीति और वित्तीय जगत में एक अहम भूमिका निभाने वाला है। यही कारण है कि हमारी फंड हाउस जैसी संस्थाएं इस अस्थिर समय को पोर्टफोलियो बनाने के अवसर के रूप में देखती हैं।
लंबी अवधि के निवेशकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे अच्छी गुणवत्ता वाली कंपनियों में निवेश बनाए रखें। म्यूचुअल फंड उद्योग की एक बड़ी ताकत यह है कि इसमें खुदरा निवेशकों का भरोसा लगातार बढ़ रहा है। भारत में लगभग 5.5 करोड़ निवेशक म्यूचुअल फंड्स से जुड़े हैं और इसमें तेजी से वृद्धि की संभावना है।
आजकल निवेशकों के बीच "एक्टिव" और "पैसिव" फंड्स को लेकर भी चर्चा बढ़ी है। भारतीय संदर्भ में दोनों तरह के फंड्स की अपनी-अपनी अहमियत है। कुल मिलाकर, भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग की दिशा सही है। बाजार की अस्थिरता के बावजूद लंबी अवधि का दृष्टिकोण सकारात्मक है। निवेशकों को चाहिए कि वे अच्छे सलाहकार की मदद लें, अनुशासन बनाए रखें और इन उतार-चढ़ावों को गुणवत्ता वाली कंपनियों और अच्छे फंड्स में निवेश का अवसर मानें।
(शेयर मंथन, 19 अगस्त 2025)
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