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रक्षा उत्पादों (Defence Products) के आयात पर रोक से घरेलू उद्योग को मिलेंगे 4 लाख करोड़ रुपये के ठेके

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने रविवार की सुबह 101 रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक (import ban) की घोषणा करते हुए यह जानकारी दी कि अप्रैल 2015 से अगस्त 2020 के बीच देश की तीनों सेनाओं ने इन वस्तुओं की लगभग 260 योजनाओं के ठेके दिये, जिनकी लागत लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये की है।

उन्होंने बताया कि आयात पर रोक के इस निर्णय से अगले 6-7 वर्षों में घरेलू उद्योग को लगभग 4 लाख करोड़ रुपये के ठेके हासिल होंगे। इसमें से थल सेना (Army) के लिए 1.30 लाख करोड़ रुपये, वायु सेना (Air Force) के लिए भी 1.30 लाख करोड़ रुपये और नौसेना (Navy) के लिए 1.40 लाख करोड़ रुपये की खरीद होने का अनुमान है।
आयात पर रोक की 101 उत्पादों की सूची में छोटे-बड़े हर तरह के रक्षा उपकरण शामिल हैं। इन उत्पादों की सूची देखें तो इससे साफ है कि भारतीय उद्योग जगत को ऐसी तमाम चीजें बनाने के लिए खुद को तैयार करना होगा, जिनसे अब तक निजी क्षेत्र तो बिल्कुल ही दूर रहा है। इन उत्पादों में युद्धपोत (कोर्विट वॉरशिप), तोप, सोनार-सिस्टम, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (लाइट), हल्के लड़ाकू विमान (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट), हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, पनडुब्बी, रडार, युद्धपोत की क्रूज मिसाइल, कम दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर मिसाइल (अस्त्र-एमके1), लंबी दूरी वाली क्रूज मिसाइल, आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल, असॉल्ट राइफल, स्नाईपर राइफल, लाइन मशीनगन, बुलेटप्रुफ जैकेट, बैलेस्टिक हेल्मेट, मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, सिमुलेटर, फास्ट अटैक बोट, एंटी सबमरीन रॉकेट, इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम, सैटेलाइट टर्मिनल, सीबीआरएन (कैमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल एंड न्युक्लिर) डिटेक्शन ऐंड मॉनेटरिंग सिस्टम, मिनी यूएवी, एंटी टैंक माइन्स, ग्रेनेड लॉन्चर, रॉकेट लॉन्चर जैसी चीजें शामिल हैं।
रक्षा मंत्री (Defence Minister) ने अपने एक ट्वीट में कहा कि जिन रक्षा उत्पादों के आयात पर रोक लगायी गयी है, उनमें आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल (एएफवी) भी शामिल हैं। इनके आयात पर दिसंबर 2021 से रोक लग जायेगी। आशा है कि सेना 5,000 करोड़ रुपये की लागत से ऐसे लगभग 200 वाहन खरीदेगी।
रक्षा मंत्री ने बताया है कि आयातों पर रोक 2020 से 2024 के बीच क्रमशः लागू की जायेगी। सरकार का उद्देश्य यह है कि भारतीय रक्षा उद्योग को सैन्य बलों की संभावित आवश्यकताओं के बारे में पहले से सूचित करके रखा जाये, जिससे वे स्वदेशीकरण के लक्ष्य के लिए अच्छी तरह तैयार रहें।
उन्होंने कई ट्वीट की एक श्रृंखला में बताया कि रक्षा मंत्रालय ने 2020-21 में पूँजीगत खरीद बजट को दो हिस्सों में बाँटा है - घरेलू और विदेशी पूँजीगत रक्षा खरीद। घरेलू पूँजीगत रक्षा खरीद के लिए चालू वित्त वर्ष में 52,000 करोड़ रुपये एक अलग बजट मद में रख दिये गये हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आयात पर रोक वाली सूची में आगे धीरे-धीरे ऐसे और भी उपकरणों को शामिल किया जायेगा। रक्षा कार्य विभाग (डीएमए) को सभी सहभागियों से चर्चा करके सूची का विस्तार करने की यह जिम्मेदारी दी गयी है। (शेयर मंथन, 9 अगस्त 2020)

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