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मुख्य 7 शहरों में 220 परियोजनाओं में 1.74 लाख मकानों का काम पूरी तरह ठप

अनुज पुरी

चेयरमैन, एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स

आम्रपाली डेवलपर्स पर उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले ने उन लाखों घर खरीदारों की उम्मीदों को फिर से जगा दिया है, जो अपने घरों की डिलीवरी के लिए लंबा इंतजार कर चुके हैं।

अन्य लटकी हुई परियोजनाओं के संबंध में भी इसी तरह के फैसले का इंतजार है, मगर शीर्ष अदालत ने अब एक जोरदार संदेश के साथ एक उदाहरण पेश किया है कि अनुपालन करो या नतीजे भुगतो।
एनारॉक के ताजा आँकड़े बताते हैं कि केवल मुख्य 7 शहरों में 220 परियोजनाओं 1.74 लाख घरों का काम पूरी तरह ठप पड़ा है। 2013 में या इससे पहले शुरू की गयी इन परियोजनाओं में कोई निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। ठप पड़ी इन इकाइयों का अनुमानित कुल मूल्य करीब 1,774 अरब रुपये है। इनमें से अधिकांश परियोजनाएँ नकदी की कमी या फिर मुकदमेबाजी के कारण लटकी हुई हैं।
इन रुकी हुई इकाइयों में से लगभग 66% (करीब 1.15 लाख घर) पहले ही खरीदारों को बेचे जा चुके हैं। अधर में लटके ये खरीदार संबंधित डेवलपरों या भूमि कानून की दया पर हैं। इन बेची गयी इकाइयों का शुद्ध अनुमानित मूल्य लगभग 1,111 अरब रुपये है।
ठप पड़े सर्वाधिक मकान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हैं। एनसीआर में 67 परियोजनाओं करीब 1.18 लाख (कुल लटके पड़े मकानों के 68%) मकानों का कार्य रुका हुआ है, जिनका कुल मूल्य करीब 822 अरब रुपये है। इसमें से 69% (83,470 मकान) पहले ही बिक गये हैं। एनसीआर में अटकी पड़ी परियोजनाओं में से 98% केवल नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मौजूद हैं, जबकि बाकी गुरुग्राम, गाजियाबाद जैसे शहरों में हैं।
एनसीआर के बाद दूसरा नंबर मुम्बई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) का है, जहाँ 38,060 इकाइयाँ ठप पड़ी हैं। हालाँकि ठप पड़ी इकाइयाँ कितनी परियोजनाओं में हैं, इस मामले में एमएमआर एनसीआर से आगे है। एनसीआऱ में 67 के मुकाबले एमएमआर में ऐसी कुल 89 परियोजनाएँ हैं। दिलचस्प बात यह है कि अटकी हुई इकाइयों के मूल्य को देखें तो एमएमआर एनसीआर के काफी करीब है। एमएमआर में रुकी हुई इकाइयों का कुल मूल्य करीब 802 अरब रुपये है, जबकि एनसीआर में यह आँकड़ा 822 अरब रुपये का है। दरअसल दोनों प्रमुख क्षेत्रों के बीच रुकी हुई इकाइयों की कुल संख्या में भारी असमानता के बावजूद एमएमआर में संपत्ति की भारी कीमतों ने इस अंतर को न्यूनतम रखा है।
एमएमआर के बाद पुणे का नंबर है, जहाँ बाद 28 परियोजनाओं 9,650 इकाइयाँ लटकी पड़ी हैं, जिनका कुल मूल्य 70 अरब रुपये है। इस सूची में 4,150 इकाइयों (36 अरब रुपये) के साथ हैदराबाद और 26 परियोजनाओं में रुकी हुई 3,870 इकाइयों (42 अरब रुपये) के साथ बेंगलुरु भी शामिल हैं।
शीर्ष शहरों में कई परियोजनाओं के अटकने से प्रभावित घर खरीदारों को अब आम्रपाली मामले में उच्चतम अदालत के हस्तक्षेप से आशा की किरण दिख रही है। क्या ये उम्मीदें पूरी हो जायेंगी? इंडस्ट्री इस पर आगे की जानकारी के लिए नजर बनाये हुए है। (शेयर मंथन, 25 जुलाई 2019)

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