शेयर मंथन में खोजें

सलाह

ओला इलेक्ट्रिक का शेयर कब मल्टीबैगर बनेगा? निवेश करना जोखिम है या अवसर, जानें एक्सपर्ट की राय

ओला इलेक्ट्रिक पर चर्चा करते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी के सामने सबसे बड़ी चुनौती गुणवत्ता और सेवा की है। जब तक कंपनी अपने उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार नहीं करती, तब तक निवेशकों के लिए भरोसे के साथ इसमें पैसा लगाना मुश्किल है। जानें बाजार विश्लेषक से ओला के शेयरों का हाल.

आने वाले समय में बैंक निफ्टी का क्या रेंज बन रहा है? जानें एक्सपर्ट की राय

भारतीय बैंकिंग सेक्टर आने वाले वर्षों में डिजिटल बदलाव के चलते तेज़ी से बदलने वाला है। फिनटेक कंपनियां और यूपीआई जैसे डिजिटल पेमेंट सिस्टम ने बैंकों के काम करने का तरीका ही बदल दिया है। अब बैंक केवल कर्ज और जमा तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि इनोवेटिव डिजिटल सेवाओं के माध्यम से ग्राहक अनुभव को बेहतर बना रहे हैं। बैंकिंग इंडेक्स में क्या अवसर है?

स्मॉलकैप और मिडकैप निवेश में निवेश के अवसर और जोखिम क्या है? जानें विशेषज्ञ की राय

भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ वर्षों से स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों का आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। निवेशक बड़ी कंपनियों की तुलना में इन छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों में ज्यादा रिटर्न की संभावना देखते हैं। यही कारण है कि जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे इन कंपनियों के लिए नए अवसर भी बन रहे हैं।

निफ्टी ने फिर छुआ 25000 का आंकड़ा, क्या अब गिरावट पर खरीदारी करनी चाहिए? जानें विशेषज्ञ की राय

बाजार की चाल को देखते हुए यह साफ है कि 25,000 के स्तर पर पहुंचने के बावजूद निवेशकों के मन में पूरी संतुष्टि नहीं है। अभी भी 100-200 अंकों की और चाल बाकी मानी जा रही है। इस तेजी में बैंकिंग सेक्टर का योगदान अधिक रहा है, इसलिए निफ्टी आईटी और निफ्टी बैंक दोनों का अलग-अलग विश्लेषण जरूरी है। निफ्टी ने 25,000 का आंकड़ा वापस से छू लिया है तो क्या अब गिरावट पर खरीदारी का मौका होगा?

क्या आपके पास भी है बाजार स्टाइल रिटेल का शेयर, जानें एक्सपर्ट से इसका विश्लेषण

बाजार स्टाइल रिटेल का कंपनी की मौजूदा स्थिति और इसके व्यवसाय मॉडल को देखते हुए यह साफ दिखाई देता है कि इसके वैल्यूएशन अभी बहुत महंगे स्तर पर हैं। सेल्स ग्रोथ अच्छी है, लेकिन नकदी की स्थिति बहुत कमजोर है। कंपनी का मार्केट कैप लगभग 2340 करोड़ रुपये है, जबकि कैश केवल 22 करोड़ रुपये के आसपास है। कर्ज की स्थिति भी चिंताजनक है।

कंपनियों की सुर्खियाँ

निवेश मंथन पत्रिका

देश मंथन के आलेख