2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में करीब 24% की गिरावट दर्ज होने के बाद यह सवाल सबसे अहम है कि आगे अर्थव्यवस्था को सँभालने के लिए किस तरह के कदम उठाये जाने जरूरी हैं।
शेयर बाजार समेत तमाम वित्तीय बाजारों में लेन-देन की लागत काफी ऊँची हो जाने की शिकायत अरसे से की जा रही है, लेकिन इस साल बजट में सरकार इस बारे में बाजारों को कुछ राहत दे सकती है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आगामी बजट में एक तरफ जहाँ अर्थव्यवस्था की बेहतरी वाले कदमों की आस लगा रखी है, वहीं नोटबंदी से जनता को हुई तकलीफ पर मरहम वाले उपायों की भी माँग की है।