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2022 में एनएफओ के जरिए जुटाई रकम 37 फीसदी घटी

 म्यूचुअल फंड्स के एनएफओ (NFO) यानी न्यू फंड ऑफरिंग के जरिए कलेक्शन में गिरावट देखने को मिली है। साल 2022 में म्यूचुअल फंड्स के एनएफओ कलेक्शन में 2021 के मुकाबले 37 फीसदी की गिरावट आई है।

 म्यूचुअल फंड्स का एनएफओ के जरिए एसेट मैनेजमेंट कंपनी का कलेक्शन 2022 में केवल 62,000 करोड़ रुपये ही रहा है। खास बात यह है कि 2021 के मुकाबले 2022 में बाजार में उतरने वाले एनएफओ (NFO) की संख्या ज्यादा रही है। मॉर्निंगस्टार इंडिया की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 के 140 एनएफओ (NFO) के मुकाबले 2022 में 228 एनएफओ (NFO) बाजार में आए। ऐसा देखा गया कि साल 2022 में फंड मैनेजर्स का फोकस पैसिव फंड्स और फिक्सड इनकम कैटेगरी पर रहा जैसे मिक्स मैच्योरिटी प्लान इत्यादि। 2021 के मुकाबले 2022 में फिक्सड इनकम एनएफओ (NFO) की संख्या करीब दोगुना रही। आंकड़ों के मुताबिक कैलेंडर ईयर 2022 में कुल 179 ओपन एंड फंड जबकि 49 क्लोज्ड एंड फंड बाजार में आए। इन फंडों के जरिए एएमसी ने करीब 62,187 करोड़ की रकम जुटाई। वहीं साल 2021 में 140 एनएफओ (NFO) बाजार में आए जिनसे करीब 99,704 करोड़ रुपये जुटाए गए, जबकि 2020 में 81 एनएफओ के जरिए 53,703 करोड़ रुपये की रकम इकट्ठा की गई।

रकम में कमी की की मुख्य वजह महंगाई, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, जियोपॉलिटिकल (भू-राजनैतिक) उथल-पुथल से निवेशकों के सेंटिमेंट्स पर बुरा असर पड़ा। इसके अलावा निवेश की रकम में आई कमी वजहों में कुछ एनएफओ फ्लेक्सीकैप,मल्टीकैप और डायनामिक असेट आवंटन के कोर कैटेगरी में उतारना रहा। आम तौर पर एनएफओ बाजार में तब आते हैं जब बाजार में खरीदारी का माहौल रहता है और निवेशक की उम्मीदें ज्यादा रहती हैं।
2022 में सबसे ज्यादा फंड्स इंडेक्स फंड सेगमेंट में आए जिसके जरिए 11,235 करोड़ रुपये की रकम जुटाई गई। वहीं फिक्सड टर्म प्लान के 49 योजनाएं बाजार में आई जिससे 12,467 करोड़ रुपये की रकम का संग्रह हुआ। वहीं 39 तरह के ईटीएफ (ETF) के जरिए 3,405 करोड़ रुपये की रकम जुटाई गई। वहीं इक्विटी कैटेगरी में 27 एनएफओ बाजार में उतारे गए। 2021 में शेयर बाजार के बढ़िया प्रदर्शन और निवेशकों के सकारात्मक माहौल के कारण ज्यादा फंड जुटाना संभव हो सका था। हालाकि बाजार के मुख्य सूचकांकों का प्रदर्शन साल के अंत में दहाई अंकों में देखने को मिली है।
एनएफओ को बाजार में उतारने का मकसद निवेशकों के मूड को भुनाने के साथ उनके निवेश करने की चाह को हकीकत में तब्दील करना है। इसके अलावा मार्केट रेगुलेटर यानी बाजार नियामक सेबी (SEBI) और एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया यानी एम्फी (AMFI) की ओर से भी निवेशकों के हित में कई सकारात्मक बदलाव भी किए गए हैं। इसमें मुख्य रुप से एग्जिट लोड को खत्म करना, एंट्री लोड पर सीमा,कैटेगराइजेशन यानी वर्गीकरण और म्यूचुअल फंड्सी की योजनाओं को दोबारा संगठित किया जाना शामिल है।

 

(शेयर मंथन 19 फरवरी, 2023)

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