राजीव रंजन झा : लगता है कि शेयर बाजार को औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में सुधार पसंद नहीं आता।
जरा गौर करें कि पिछले महीने 12 अप्रैल को खबर आयी थी कि फरवरी में भारत का औद्योगिक उत्पादन केवल 0.6% बढ़ा, जबकि इससे पहले जनवरी 2013 में यह 2.4% बढ़ा था और फरवरी 2012 की वृद्धि दर 4.3% थी। यानी फरवरी का आँकड़ा ठीक पिछले महीने से भी कमजोर था और साल भर पहले की तुलना में भी। लेकिन उसके बाद से अब तक शेयर बाजार का प्रदर्शन देख लीजिए, 10% से ज्यादा की उछाल आ गयी!
आज मार्च 2013 में औद्योगिक उत्पादन 2.5% बढ़ने की खबर आयी है। यह वृद्धि जानकारों के अनुमान के मुताबिक ही या उससे कुछ बेहतर ही है। जानकार 2.0-2.2% के आसपास का अनुमान लगा कर चल रहे थे। ठीक पिछले महीने से भी स्थिति सँभली है। अक्टूबर 2012 के बाद से यह अब तक का सबसे बेहतर मासिक आँकड़ा है। लेकिन आईआईपी की खबर आते ही निफ्टी 6080 के ऊपरी स्तर से एकदम फिसल कर करीब 6045 पर आ गया।
बाजार का यह कैसा मिजाज है, जिसमें अच्छी खबर अच्छी नहीं लगती! अगर अगले कुछ दिनों में ही आरबीआई की ओर से ब्याज दरों पर फैसला होने वाला होता, तो यह स्पष्टीकरण दिया जा सकता था कि बाजार को शायद अब ब्याज दरों में कटौती नहीं होने की आशंका सताने लगी। लेकिन इस समय तो बाजार के सामने ऐसी कोई उम्मीद भी नहीं खड़ी है। आरबीआई अभी-अभी ब्याज दरों में कटौती कर चुका है (भले ही उम्मीद से कम)।
तो इस बात को कैसे देखा जाये? कुछ जानकार कहते हैं कि अब आईआईपी के आँकड़े बाजार के लिए इतने महत्वपूर्ण नहीं रह गये हैं। हो सकता है। लेकिन आज के एकदिनी चार्ट को देखने से तो साफ है कि आईआईपी की खबर आते ही बाजार फिसल गया। क्यों फिसल गया, यह समझना मेरे लिए तो मुश्किल हो रहा है।
लेकिन तकनीकी रूप से इसका एक स्पष्ट मतलब दिखता है। गौर करें कि पिछले दो दिनों से निफ्टी 6085 के पास अटकता रहा है। आज आईआईपी की खबर के बाद फिसलने से पहले भी निफ्टी लगभग वहीं 6080 तक चढ़ा था। इसका मतलब यही है कि जनवरी 2013 के शिखर 6112 के एकदम पास आकर भी बाजार उसे छूने और पार करने का हौसला नहीं जुटा पा रहा है। ऐसे में अगर यह मंगलवार के निचले स्तरों को तोड़े तो बाजार का रुझान फौरी तौर पर नकारात्मक हो जायेगा। यानी निफ्टी के लिए नजर रखें 6020 पर। बेशक निफ्टी ने कुछ दिन 6000 के ऊपर गुजार लिये हैं, लेकिन जैसा मैंने पहले भी लिखा था कि 6000 के ऊपर टिक पाना आसान नहीं होगा। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 10 मई 2013)
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