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भाजपा की अधिकतम संभावनाएँ भुनाने में जुटा बाजार

राजीव रंजन झा : सोमवार को नया रिकॉर्ड बनाने के बाद सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) न केवल उस दिन मुनाफावसूली के चलते कुछ हल्के पड़े, बल्कि मंगलवार को भी नीचे फिसले और आज बुधवार को सुबह-सुबह बाजार खुलते ही सेंसेक्स 100 अंक से ज्यादा फिसल गया है।
हालाँकि बाजार के ऊपर चढ़ने और नया रिकॉर्ड बनने के पीछे जो मुख्य कारण है, उसमें कोई फर्क नहीं आया है। विधानसभा चुनावों के नतीजे आने पर जो उत्साह हमें सोमवार की सुबह दिखा था, वही उत्साह ब्रोकिंग फर्मों की रिपोर्टों और उनके बयानों में भी है। मॉर्गन स्टैनले ने नतीजा निकाला है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को इन चार राज्यों, यानी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में 30 अतिरिक्त लोकसभा सीटें मिल सकती हैं। इसका मानना है कि पूरे उत्तर भारत में कांग्रेस विरोधी लहर है और सारे समीकरण भाजपा के पक्ष में हैं।
कांग्रेस विरोधी लहर की बात सीएलएसए ने भी की है। इसका आकलन है कि भाजपा इन चार राज्यों में 57 लोकसभा सीटें जीत सकती है। क्रेडिट सुइस ने भी कांग्रेस विरोधी माहौल होने और भाजपा की लहर बनने की बात की है। लेकिन साथ में इसने यह भी कहा है कि आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रदर्शन से भारतीय राजनीति बदल सकती है और यह 2014 में तीसरी बड़ी पार्टी बन सकती है।
बाजार का अति-उत्साह देख कर ऐसा लगता है मानो विश्लेषकों ने भाजपा के नेताओं से भी बढ़-चढ़ कर उम्मीदें लगा ली हैं। जरा गौर करें कि इन चार राज्यों में कुल 72 सीटें हैं और पिछली बार भाजपा को इनमें 30 सीटें मिली थीं। मॉर्गन स्टैनले की बात मानें तो ये सीटें 30 और बढ़ जायेंगी, यानी कुल 60 हो जायेंगी। इस तरह 72 में से 60 का मतलब यह है कि इन चार राज्यों में भाजपा 83% सीटें जीत जायेगी।
गौरतलब है कि 2009 के चुनाव में भाजपा को दिल्ली की सात में से एक भी सीट नहीं मिली थी, जबकि राजस्थान की 25 में से 4, मध्य प्रदेश की 29 में से 16 और छत्तीसगढ़ की 11 में से 10 सीटें मिली थीं। अभी विधानसभा चुनावों के जैसे परिणाम सामने आये हैं, उनके अनुसार ही अगर लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन रहा तो भाजपा को राजस्थान और दिल्ली में अतिरिक्त सीटें मिलने की संभावना ज्यादा रहेगी, जहाँ पिछली बार उसका सफाया हो गया था। मध्य प्रदेश में भी सीटें कुछ बढ़ सकती हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में पिछली बार के प्रदर्शन को दोहरा पाना मुश्किल लगता है।
अगर दिल्ली में लोकसभा चुनावों में आप का जादू लोकसभा चुनावों तक उतर जाये, छत्तीसगढ़ के मतदाता भी विधानसभा चुनावों के रुझान से अलग केंद्र के लिए भाजपा को इकतरफा ढंग से जनादेश दें और साथ में भाजपा राजस्थान और मध्य प्रदेश में अपने ताजा प्रदर्शन को दोहरा सके, तभी भाजपा इन राज्यों में 55-60 के करीब पहुँच सकती है, वरना मौजूदा प्रदर्शन के ही दोहराव की स्थिति में 50 से ज्यादा आगे बढ़ पाना बड़ा मुश्किल होगा। अपने-आप में 72 में से 50 सीटें जीत लेना भी शानदार प्रदर्शन होगा, लेकिन यह बाजार के मौजूदा आकलन से कम होगा।
इन चार राज्यों के हिसाब-किताब से ही यह स्पष्ट हो जाता है कि इस समय बाजार यथार्थपरक आकलन के बदले अपनी इच्छा को उम्मीद बना चुका है और उसे आकलन के रूप में पेश कर रहा है। उसकी इच्छा यह है कि भाजपा को स्पष्ट जीत मिले और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन सकें। इस इच्छा के साकार होने के लिए उसे जिस राज्य में भाजपा की जो अधिकतम संभावना दिख सकती है, उस संभावना को वह लहर के नाम पर भुना लेना चाहता है। अगर चुनाव से पहले तक बाजार इसी उम्मीद के साथ चलता रहा तो चुनाव के बाद हकीकत का झटका लगने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।
अगर फिलहाल छोटी अवधि और खास कर आज के कारोबार की बात करें तो आज सुबह के कारोबार में निफ्टी 6287 तक गिरने के बाद थोड़ा सँभला है। इसके लिए 6308 पर एक सहारा था, जिसके टूटने के चलते अभी मुनाफावसूली का दबाव बढ़ने की आशंका लगती है। यहाँ से नीचे एक सहारा 6275 पर होगा, जो 6 दिसंबर का ऊपरी स्तर है। अगर 6270-6280 के दायरे में सहारा मिल सका तो ठीक, वरना अगले कुछ दिनों के लिहाज से चाल कमजोर पड़ सकती है।
हालाँकि इसके तुरंत नीचे 6210-6230 के दायरे में भी एक सहारा बनता है। 5 दिसंबर को एक ऊपरी अंतराल (राइजिंग गैप) 6209-6262 के बीच बना था, लेकिन उसी दिन 6232 का निचला स्तर था। इसलिए उस अंतराल से मिलने वाला सहारा अब 6210-6230 के बीच ही मानना बेहतर है।
अभी इसका 10 दिनों का सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) 6210 पर है, जबकि 20 एसएमए इसके नीचे 6143 पर है। इसके 10 एसएमए का 20 एसएमए के ऊपर चलना छोटी अवधि के लिए सकारात्मक संकेत है। लेकिन छोटी अवधि की चाल के नजरिये से सबसे महत्वपूर्ण सहारा 6150 का होगा, जो 4 दिसंबर का निचला स्तर था। इसका टूटना बाजार की चाल को काफी कमजोर कर सकता है, लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक बाजार को अभी मोटे तौर पर सकारात्मक ही मानना चाहिए। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 11 दिसंबर 2013)

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