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लोकसभा चुनाव नतीजों पर कुछ इस अंदाज में ली जा रही हैं सोशल मीडिया पर चुटकियाँ

चुनावी रुझानों में भाजपा और एनडीए गठबंधन के स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ने के साथ ही जन-माध्यमों (सोशल मीडिया) पर हास-परिहास का दौर भी शुरू हो गया। प्रस्तुत है जन-माध्यमों पर कुछ आम-खास लोगों की चुनावी चकल्लस।

नरेंद्र नाथ, नयी दिल्ली
"हुआ तो हुआ"
-कांग्रेस की पहली प्रतिक्रिया
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सुधीर कुमार पांडे, नोएडा
ख़बर है कि अमित शाह ने अय्यर और सिद्धू को भाजपा ऑफ़िस बुलाया है, रेड कॉर्पट भी बिछाया है, फूल भी बरसाये जायेंगे।
दोनो को भाजपा रत्न से सम्मानित किया जायेगा।
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रोशन जोशी, मुम्बई
"मोदी फेंकू नहीं है,
मोदी उखाड़फेंकू हैं"
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डॉ जितेंद्र कुमार राय, दिल्ली
ईवीएम हैकिंग करने वाली मशीन उसी केदारनाथ वाली गुफा में है ..
#मैं बता रहा था ...कोई माने तब न ..!
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जय राजगरिया, धनबाद
अभी अभी भाजपा के नारे मोदी है तो मुमकिन है के बदले मे काँग्रेसीयो ने भी नारा बनाया है
"राहुल है तो मुश्किल है"
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सौरभ शुक्ल, नोएडा
रुझानों के बाद मोतीचूर के लड्डुओं ने अपना नाम बदलकर 'मोदी'-चूर रखने की अर्जी लगायी है..
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संजय तिवारी, दिल्ली
कांग्रेस का शानदार प्रदर्शन। इस बार नेता विपक्ष की सीट पक्की
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चंद्र शेखर वर्मा, लखनऊ
मीडिया को "बादलों" के कारण मोदी की सूनामी नहीं दिखी।
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मनमोहन अग्रवाल, श्री गंगानगर
कुछ तो कमी रह गयी "राहुल गांधी" के प्रचार में;
वरना 400 सीटों से कम ना आती "बीजेपी सरकार में"
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पीयुष पांडे, गाजियाबाद
इस बीच, अखिल भारतीय हलवाई संघ ने चुनाव आयोग से एक्गिट पोल पर पाबंदी की मांग की है। उनका कहना है कि एग्जिट पोल के बाद
कांग्रेसी लड्डू लेने आये ही नहीं, जिससे उनके धंधे पर जबरदस्त असर पड़ा है...
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वैभव अग्रवाल, धनौरा
राजनीति में पढ़ा था की सारे एमपी मिल कर प्रधानमंत्री बनाते हैं, 2019 में एक पीएम ने सारे एमपी बनाये।��
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वहीं ट्विटर पर भी कुछ लोगों ने नतीजों पर चुटकी ली है।
imsirjadeja अकाउंट से लिखा गया "हारने वालों के लिए ये ढूँढना मुश्किल हो गया है कि हारने का इल्जाम किस पर लगाया जाये। ईवीएम, चुनाव आयोग या मतदाता..

@ShanKabira ने लिखा "अगर राहुल गांधी वायनाड से जीतते हैं और अमेठी से हारते हैं तो वो कौन सी ईवीएम पर सवाल उठाएंगे?''

(शेयर मंथन, 23 मई 2019)

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