यूरोपियन यूनियन (EU) ने विश्व भर में नौ दवा कंपनियों पर जुर्माना लगाया है।
इन दवा कंपनियों में भारत की रैनबैक्सी लेबोरेटरीज (Ranbaxy Laboratories) भी शामिल हैं। यूरोपियन यूनियन एंटीट्रस्ट कमीशन ने रैनबैक्सी पर एंटी ट्रस्ट नियमों के उल्लंघन का दोषी मानते हुए 10.3 मिलियन यूरो यानि लगभग 80 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना एंटी डिप्रेशन दवा के जेनेरिक वर्जन को जानबूझकर बाजार में देर से उतारे जाने को लेकर लगाया गया है।
हालाँकि रैनबैक्सी ने स्पष्टीकरण जारी कर इस फैसले को निराशाजनक करार दिया है। कंपनी इस फैसले के खिलाफ यूरोपियन यूनियन के जनरल कोर्ट में अपील दायर करेगी। कंपनी के मुताबिक यह मामला दस साल पहले का है, इसलिए ईयू को इस घटना के तथ्यों को समझने में भारी चूक हुई है।
गौरतलब है कि ईयू के मुताबिक वर्ष 2002 में रैनबैक्सी ने डेनमार्क की लुंडबेक (Lundbeck) कंपनी के साथ सेटलमैंट समझौता किया था। इस समझौते का मकसद यूरोपीय बाजारों में एंटी डिप्रेशन दवा सिटैलोप्राम (Citalopram) के जेनेरिक वर्जन की सस्ती दवाओं को बाजार में आने से रोकना था।
शेयर बाजार में कंपनी के शेयर भाव में गिरावट का रुख है। बीएसई में यह 1.58% के नुकसान के साथ 348.55 रुपये पर है। (शेयर मंथन, 20 जून 2013)
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