देश में प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ाने का केंद्र सरकार का फैसला अब 1 अप्रैल 2014 से लागू नहीं हो सकेगा।
चुनाव आयोग ने सोमवार शाम यह निर्देश जारी किया कि केंद्र सरकार अपना यह फैसला चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक टाल दे। इस फैसले से गैस उत्पादन करने वाली सरकारी और निजी दोनों तरह की कंपनियाँ अपने दाम 1 अप्रैल से नहीं बढ़ा सकेंगी। मुख्य रूप से इस फैसले का असर रिलायंस इंडस्ट्रीज और ओएनजीसी पर होगा।
इससे पहले केंद्र सरकार ने यह फैसला किया था कि 1 अप्रैल 2014 से प्राकृतिक गैस की कीमतंइ तय करने का एक नया फॉर्मूला लागू किया जायेगा। इस फॉर्मूले के आधार पर गैस की कीमत मौजूदा 4.2 डॉलर प्रति यूनिट से बढ़ कर 8.4 डॉलर होने की उम्मीद की जा रही थी। हाल में आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। केजरीवाल का आरोप है कि यह फैसला रिलायंस इंडस्ट्रीज को अनुचित लाभ पहुँचाने के लिए किया गया है।
साथ ही सीपीआई के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने भी इस मसले पर सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर रखी है। इस याचिका पर सुनवाई 25 मार्च को होने वाली है। केंद्र सरकार ने कीमत वृद्धि का यह फैसला जून 2013 में किया था और इसकी अधिसूचना 10 जनवरी 2014 को जारी कर दी गयी थी। यानी चुनावी आचार संहिता लागू होने से पहले ही यह फैसला हो चुका था। लेकिन सावधानी बरतने के लिए सरकार ने चुनाव आयोग से नयी कीमतें घोषित करने की अनुमति माँगी थी। मगर इस मुद्दे पर विचार करने के बाद आयोग ने सरकार से कहा है कि वह नयी कीमतों की घोषणा टाल दे। आयोग ने यह निर्देश देते समय मामला सर्वोच्च न्यायालय में होने का हवाला भी दिया।
आयोग का यह फैसला सोमवार को बाजार बंद होने के बाद देर शाम में आया है। बाजार के जानकारों का मानना है कि मंगलवार को बाजार खुलने पर इस खबर का नकारात्मक असर रिलायंस के शेयर भाव पर दिख सकता है। हालाँकि सोमवार को रिलायंस का शेयर बीएसई में 1.83% की बढ़त के साथ 905 रुपये पर बंद हुआ है। इससे पहले शुक्रवार 21 मार्च को रिलायंस 913 रुपये तक चढ़ा था, जो 6 नवंबर 2013 के बाद से अब तक इसका सबसे ऊपरी स्तर था। (शेयर मंथन, 24 मार्च 2014)
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