भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को नयी तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा घोषित की।
आरबीआई ने बेड डेब्ट ऋण समस्याओं का समाधान करने के लिए नये दिशा-निर्देश तैयार करने की बात कही थी, जिसे एक हफ्ते के भीतर ही पूरा कर दिया गया। नये दिशा-निर्देशों में तीन साल संशोधन किया जायेगा।
आरबीआई ने 15 साल बाद बैंकों के लिए पीसीए में संशोधन किया है। आरबीआई इन नियमों को सख्त बनाकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय नियम के मुताबिक बना रहा है और इसका क्रियान्वयन कर रहा है। बैंकों की निगरानी पूँजी, संपत्ति की गुणवत्ता और लाभदायकता के आधार पर होगी। पीसीए के तहत तीन स्तर की सीमा रेखा होगी और अगर एक सीमा रेखा को तोड़ा जाता है तो पीसीए लागू होगा और इस तरह से बैंकों की सामान्य गतिविधियों पर पाबंदी लग जायेगी।
साल 2002 के पीसीए में भी सीमा रेखा के तीन स्तर थे, लेकिन वहाँ बेसल-3 के नियम नहीं थे। अब भारतीय बैंक बेसल-3 के नियम के दायरे में आ गये हैं, लिहाजा पहले के मुकाबले अब ज्यादा सख्त नियम व शर्तें तय की गयी हैं। जैसे कि पिछले पीसीए में यह सीमा रेखा तब लागू हुई थी जब शुद्ध एनपीए अनुपात 10% से लेकर 15% तक चला गया था। इस बार पीसीएल का पहला चरण शुद्ध एनपीए अनुपात के 6% तक भी चले जाने पर लागू हो जायेगा। अब से पीसीए में हर तीन साल में संशोधन किया जायेगा। (शेयर मंथन, 15 अप्रैल 2017)
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