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कॉटन में बढ़त, अरंडी को 5,750-6,120 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना - एसएमसी साप्ताहिक रिपोर्ट

आईसीई में कॉटन वायदा की कीमतों में मजबूती के रुख घरेलू बाजार में कॉटन वायदा (जनवरी) की कीमतें लगातार चौथे सप्ताह बढ़त के साथ बंद हुई।

अब कीमतों के 33,320 रुपये पर सहारा के साथ 34,000 रुपये से ऊपर बने रहने पर 35,900 रुपये तक बढ़ोतरी दर्ज करने की संभावना है। यूएसडीए की नवीनतम मासिक आँकड़ों के अनुसार 2021-22 में विश्व स्तर पर कपास उत्पादन 0.18% कम होकर 121.56 मिलियन बेल रह सकता है, लेकिन भारत में कपास उत्पादन में कोई बदलाव नहीं हुआ। अमेरिकी कपास की माँग बहुत अधिक है और अगर आपूर्ति श्रृंखला की स्थिति में सुधार होता है तो 2022 में भी मजबूती जारी रह सकती है। उत्पादन में कमी की आशंका और निर्यात के लिए कच्चे कपास की अधिक माँग के कारण वर्तमान समय में कपास की कीमतें वर्ष.दर.वर्ष 65% अधिक हैं। कताई मिलों की ओर से खरीदारी बढ़ गयी है, जबकि दैनिक आवक स्थिर रही। बाजार सूत्रों के मुताबिक एक अक्टूबर से शुरू हो रहे चालू सीजन में 15 दिसंबर तक देश भर की मंडियों में सिर्फ 97 से 98 लाख गांठ कपास की आवक हुई हैए जबकि इस दौरान करीब 10.50 से 11 लाख गांठ के निर्यात सौदे हुये। कम आवक के परिणामस्वरूप मिलों के पास कपास के बकाया बचे हुये स्टॉक में कमी हुई है। चालू सीजन में कुल उपलब्धता पिछले साल की तुलना में कम होगी जबकि मिलों और निर्यात के लिए अधिक माँग के कारण खपत बढ़ने की उम्मीद है।

पिछले तीन सप्ताह में बढ़त दर्ज करने के बाद हुई मुनाफावसूली के कारण ग्वारसीड वायदा (जनवरी) की कीमतों में पिछले सप्ताह कुछ गिरावट हुई है। अब कीमतों के 5,860 रुपये पर सहारा के साथ 6,300 रुपये के स्तर तक कारोबार करने की उम्मीद है। वर्तमान में कम उत्पादनए कई वर्षो में कम स्टॉक और अच्छी निर्यात माँग की संभावना से कीमतें वर्ष.दर.वर्ष 50% अधिक हैं। इस महीने की शुरुआत में कीमतें 2 महीने के निचले स्तर पर आ गयी हैं, जिससे बाजारों में आवक धीमी हो गयी है। अक्टूबर में ग्वारगम का निर्यात वर्ष.दर.वर्ष 60% बढ़कर 27,150 टन हो गया जबकि 2021-22 अप्रैल-सितंबर) में निर्यात वर्ष.दर.वर्ष 46% बढ़कर 1.85 लाख टन हो गया लेकिन अभी भी पूर्व.कोविड स्तरों तक नहीं पहुँचा है।

अरंडी वायदा (जनवरी) की कीमतें लगातार पांचवें सप्ताह गिरावट के साथ बंद हुई और अब 5,750-6,120 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। कृषि मंत्रालय के अग्रिम अनुमानों के अनुसार कम रकबा होने के कारण अरंडी का उत्पादन पिछले तीन वर्षों में सबसे कम 15.98 लाख टन होने का अनुमान है। अरंडी का उत्पादन पिछले तीन वर्षों में सबसे कम होने के अनुमान के कारण कीमतें वर्ष.दर.वर्ष 34% अधिक हैं। (सितंबर-नवंबर) के दौरान निर्यात पिछले साल के 1.65 लाख टन की तुलना में 16% घटकर 1.39 लाख टन रह गया।

इसी तरह (अगस्त-नवंबर) के दौरान अरंडीमील के निर्यात में 32% की गिरावट हुई है। लेकिन गुजरात कृषि विभाग के पहले अग्रिम अनुमान में अरंडी का उत्पादन औसतन 13.46 लाख टन की तुलना में 14.08 लाख टन होने का अनुमान है। सितंबर में मॉनसून के फिर से शुरू होने से फसल में सुधार होने की उम्मीद है। (शेयर मंथन, 03 जनवरी 2022)

 

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